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अपने मन मे जानता हूँ महाभारत सार को , अपने मन मे जानता हूँ महाभारत सार को , मे निमंत्रण नहीं दंगा कृष्ण के अवतार को । क्यों की जानता हूँ अंत तह निष्कर्ष यही आयेगा , कायर कहेगा विश्व उसे जो युद्ध नहीं कर पायेगा । कायर कहेगा विश्व उसको जो युद्ध ना कर पायेगा । क्षत्राणी है वो राज की रणनीतियों को जानती है , मात्र भू के बेरीयो को माँ भी बेरी मानती है । धरा के दुलार का अँगार मन मे भर चुका था , घाटीयो मे युद्ध की वो घोषणा भी कर चुका था सब विरतब एक दुसरे के खुन के प्यासे बने , धनुष की हर डोर पर तिर भी मानो तने । इस वेग से शोणित बहाके जो बहे मंदाकिनी , प्रतिपल वहाँ पर घट रही थी क्षत्रुओं की वाहिनी। पराक्रम से मुगल दल के दाँत खट्टे पड़ रहे थे , ओर बिन मुंड के क्षत्रिय तलवार लेकर लड़ रहे थे ।।
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Joined Mar 14, 2023
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