"यूसुफ और उसके भाइयों का पुनर्मिलन: संकट में परिवारिक प्रेम की परीक्षा" उत्पत्ति 43:1 34.#short #yt

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"यूसुफ और उसके भाइयों का पुनर्मिलन: संकट में परिवारिक प्रेम की परीक्षा" उत्पत्ति 43:1 34.#short #yt उत्पत्ति 43:1-34 में यूसुफ और उसके भाइयों के बीच का पुनर्मिलन और उनके परिवार की भावनात्मक परीक्षा का वर्णन है। इस घटना के पीछे मुख्य कारण कनान में पड़े अकाल से उत्पन्न हुई संकट की स्थिति है। याकूब (या इस्राएल) के परिवार को अनाज की आवश्यकता होती है, और इसी कारण याकूब अपने बेटों को फिर से मिस्र भेजता है, जहाँ यूसुफ अब मिस्र का शक्तिशाली अधिकारी है, लेकिन उसके भाई अब भी यह नहीं जानते कि वह उनका ही खोया हुआ भाई है।

प्रमुख घटनाएँ:
याकूब की चिंता और निर्णय: जब कनान में अकाल गंभीर हो जाता है, याकूब अपने बेटों को फिर से मिस्र अनाज खरीदने भेजने का निर्णय करता है। हालांकि, यूसुफ ने पिछली मुलाकात में उनके छोटे भाई बिन्यामीन को लाने की शर्त रखी थी, जिसके कारण याकूब को संकोच हो रहा था। लेकिन संकट की घड़ी में, याकूब मजबूर होकर बिन्यामीन को उनके साथ भेजने की सहमति देता है।

भाइयों का मिस्र आगमन: यूसुफ के भाई फिर से मिस्र आते हैं, इस बार बिन्यामीन भी उनके साथ होता है। जब यूसुफ देखता है कि उनका सबसे छोटा भाई उनके साथ आया है, तो वह अंदर से भावुक हो जाता है, लेकिन वह खुद को प्रकट नहीं करता। इसके बजाय, वह योजना बनाकर अपने भाइयों की सत्यता और परिवार के प्रति उनके प्रेम की परीक्षा लेता है।

यूसुफ का आतिथ्य: यूसुफ अपने भाइयों को अपने घर बुलाता है और उनके साथ भोजन की व्यवस्था करता है। इस दौरान, वह अपने भाई बिन्यामीन पर विशेष ध्यान देता है, उसे पाँच गुना अधिक भोजन देता है। यह यूसुफ की ओर से एक संकेत है, जिससे वह देखना चाहता है कि उसके भाई अब बिन्यामीन के प्रति कैसा व्यवहार करते हैं, क्योंकि वे पहले यूसुफ से ईर्ष्या के कारण उसे बेचा था।

भाइयों का भय: यूसुफ के आतिथ्य के बावजूद, उसके भाई चिंतित और डरे हुए रहते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके खिलाफ कोई साजिश रची जा रही है। वे सोचते हैं कि उन्हें उनके पहले के पैसे की वजह से फंसाया जा सकता है, जो यूसुफ ने उनकी थैलियों में चुपके से रखवा दिए थे।

समाप्ति: यूसुफ अब भी अपने भाइयों के सामने अपनी पहचान नहीं प्रकट करता, लेकिन यह स्पष्ट होता है कि वह अपने भाइयों के हृदय की परीक्षा ले रहा है। वह यह देखना चाहता है कि क्या वे बदल गए हैं, और अब बिन्यामीन के प्रति उनकी सोच और भावना कैसी है।

सारांश:
यह अध्याय परिवारिक प्रेम, ईर्ष्या, क्षमा और संकट के बीच रिश्तों की परीक्षा की कहानी है। यूसुफ अपने भाइयों की भावनाओं और इरादों की जांच करता है, और कहानी धीरे-धीरे इस दिशा में बढ़ रही है जहाँ अंततः यूसुफ अपने भाइयों को माफ करेगा और अपने परिवार के साथ फिर से जुड़ जाएगा। #Exploring Faith In JESUS CHRIST .
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