जय जय कल्कि: अधर्म का अंत, धर्म की पुनः स्थापना

1 month ago
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धरा पर जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर पहुँच जाता है, तब भगवान कल्कि का अवतार होता है, न्याय और धर्म की पुनर्स्थापना के लिए। इस भक्तिमय गीत के माध्यम से सुनें कैसे कल्कि भगवान अपने घोड़े पर सवार होकर तलवार के साथ अधर्म का संहार करते हैं और धर्म की ज्योति पुनः जलाते हैं।

इस गीत में कलियुग के अंत और सतयुग की शुरुआत का वर्णन है। सुनिए और जयकार करें - "जय जय कल्कि, अधर्म का संहार करें, धर्म की ज्योति जलाने, कल्कि अवतार आएं।"

🌟 जय कल्कि अवतार! 🌟

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