मत्ती 4:17: "यीशु का प्रचार आरंभ"

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मत्ती 4:17: "यीशु का प्रचार आरंभ"
पृष्ठभूमि:

मत्ती अध्याय 4 में, यीशु मसीह ने अपने सार्वजनिक सेवा का आरंभ किया। इस अध्याय में, उनके बपतिस्मा, जंगल में शैतान द्वारा परीक्षा, और गलील में उनकी सेवा का आरंभ शामिल है। मत्ती 4:17 वह पद है जहां यीशु मसीह ने अपनी प्रचार सेवा शुरू की और लोगों को पश्चाताप के लिए बुलाया।

पद:

मत्ती 4:17 (HIN):
"उस समय से यीशु प्रचार करने लगे, 'पश्चाताप करो, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट है।'"

विवरण:
यीशु की सेवा का आरंभ:

सेवा की शुरुआत: इस पद से, यीशु ने सार्वजनिक रूप से प्रचार करना शुरू किया। यह उनका पहला संदेश है जिसे उन्होंने अपने सेवा कार्य के रूप में प्रस्तुत किया।
पश्चाताप का आह्वान:

पश्चाताप: "पश्चाताप करो" का अर्थ है अपनी गलतियों और पापों को स्वीकार करना और अपने जीवन को सुधारने के लिए दिशा बदलना। यह एक आंतरिक परिवर्तन और नए जीवन का आह्वान है।
आध्यात्मिक पुनर्नवीकरण: यीशु का आह्वान व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों स्तरों पर आध्यात्मिक पुनर्नवीकरण का आह्वान करता है।
स्वर्ग का राज्य:

स्वर्ग का राज्य निकट है: यह संदेश बताता है कि ईश्वर का राज्य आने वाला है और लोग इसे स्वीकार करने और उसमें प्रवेश करने के लिए तैयार हों।
प्रभुता की स्थापना: "स्वर्ग का राज्य" यीशु की प्रभुता और ईश्वर के राज्य की स्थापना का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि ईश्वर की योजना का समय आ गया है और लोग इसके लिए तैयार रहें।
समय की तात्कालिकता:

तात्कालिकता: "निकट है" का उपयोग यह संकेत देने के लिए किया गया है कि यह संदेश तुरंत ध्यान देने योग्य है और लोगों को शीघ्रता से प्रतिक्रिया देनी चाहिए।
अनुग्रह का अवसर: यह एक अवसर है जो ईश्वर के अनुग्रह और दया के माध्यम से प्रदान किया गया है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
व्यापक महत्व:
प्रचार का प्रारंभिक संदेश: मत्ती 4:17 में यीशु का संदेश उनके पूरे प्रचार और सेवा के केंद्र में है। यह पश्चाताप और ईश्वर के राज्य की स्वीकृति पर जोर देता है।
आध्यात्मिक जागृति: इस संदेश का उद्देश्य लोगों को आध्यात्मिक रूप से जागृत करना और उन्हें ईश्वर के साथ सही संबंध में लाना है।
भविष्यवाणी की पूर्ति: यह पद पुराने नियम की भविष्यवाणियों की पूर्ति के रूप में भी देखा जा सकता है, जिसमें मसीहा के आगमन और ईश्वर के राज्य की स्थापना की बात की गई है।
व्यक्तिगत प्रतिबिंब:
मत्ती 4:17 हमें आत्मनिरीक्षण और पश्चाताप के महत्व को समझने के लिए प्रेरित करता है। यह हमें याद दिलाता है कि ईश्वर का राज्य निकट है और हमें अपने जीवन को सुधारने और आध्यात्मिक रूप से तैयार होने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए। यीशु का यह आह्वान हमारे लिए एक मार्गदर्शन है कि हम अपने पापों को स्वीकार करें, पश्चाताप करें, और एक नए, सुधारित जीवन की ओर अग्रसर हों।#secret of faith and mercy in jesus christ.
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