मत्ती 4:4: "मनुष्य केवल रोटी से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जीवित रहेगा

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मत्ती 4:4: "मनुष्य केवल रोटी से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जीवित रहेगा जो परमेश्वर के मुख से निकलता है।"
पृष्ठभूमि:

मत्ती 4 में, यीशु को पवित्र आत्मा द्वारा जंगल में ले जाया जाता है जहाँ वह चालीस दिन और चालीस रात उपवास करते हैं। इस दौरान, शैतान यीशु को विभिन्न तरीकों से परीक्षा में डालता है। मत्ती 4:4 उस संवाद का हिस्सा है जहाँ शैतान यीशु को पत्थरों को रोटी में बदलने के लिए प्रेरित करता है, लेकिन यीशु उसे एक गहन धार्मिक सच्चाई के साथ जवाब देते हैं।

पद:

मत्ती 4:4 (HIN):
"परन्तु उसने उत्तर दिया, 'यह लिखा है, मनुष्य केवल रोटी से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जीवित रहेगा जो परमेश्वर के मुख से निकलता है।'"

विवरण:
प्रस्तावना:

शैतान की परीक्षा: शैतान ने यीशु से कहा कि यदि वह परमेश्वर का पुत्र है, तो वह इन पत्थरों को रोटी में बदल दे। यह परीक्षा यीशु की शारीरिक भूख और ईश्वर के प्रति उसकी आस्था का परीक्षण करने का प्रयास था।
उत्तर में धार्मिक सत्य:

"यह लिखा है": यीशु अपने उत्तर की शुरुआत "यह लिखा है" से करते हैं, जो दर्शाता है कि वह अपने उत्तर के लिए पवित्रशास्त्र का सहारा ले रहे हैं। यह वाक्यांश यहूदियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनकी पवित्र पुस्तकों की प्रतिष्ठा को इंगित करता है।
वचन का महत्व: "मनुष्य केवल रोटी से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जीवित रहेगा जो परमेश्वर के मुख से निकलता है" का अर्थ है कि भौतिक भोजन से अधिक, आत्मिक और धार्मिक भोजन भी आवश्यक है। यह उद्धरण पुराने नियम के व्यवस्थाविवरण 8:3 से लिया गया है, जहाँ यह कहा गया है कि परमेश्वर ने इस्राएलियों को यह सिखाने के लिए मन्ना दिया कि मनुष्य केवल भौतिक भोजन पर निर्भर नहीं रह सकता।
आध्यात्मिक महत्व:

आध्यात्मिक पोषण: यीशु का यह उत्तर हमें सिखाता है कि केवल भौतिक आवश्यकताएं ही पर्याप्त नहीं हैं; आत्मिक पोषण भी आवश्यक है। परमेश्वर के वचन, जो पवित्रशास्त्र में मिलते हैं, हमें आध्यात्मिक जीवन और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
परमेश्वर पर निर्भरता: यह पद यह भी सिखाता है कि हमें अपनी आवश्यकताओं और समस्याओं के समाधान के लिए परमेश्वर पर निर्भर रहना चाहिए, न कि केवल भौतिक संसाधनों पर।
व्यापक महत्व:
परीक्षा में विजय: यह पद दर्शाता है कि कैसे यीशु ने शैतान की परीक्षा का सामना किया और पवित्रशास्त्र के ज्ञान और ईश्वर के प्रति अपनी आस्था के साथ उस पर विजय प्राप्त की।
जीवन का मार्गदर्शन: मत्ती 4:4 हमें यह सिखाता है कि हमें अपनी जीवन की दिशा और निर्णयों के लिए पवित्रशास्त्र का सहारा लेना चाहिए। परमेश्वर के वचन हमें सच्ची मार्गदर्शिका और जीवन का अर्थ प्रदान करते हैं।
व्यक्तिगत प्रतिबिंब:
मत्ती 4:4 हमें अपने जीवन में भौतिक आवश्यकताओं और आत्मिक आवश्यकताओं के बीच संतुलन बनाने की शिक्षा देता है। यह हमें याद दिलाता है कि भौतिक संसाधन महत्वपूर्ण हैं, लेकिन हमारे जीवन की सच्ची स्थिरता और संतोष परमेश्वर के वचनों और उनकी उपस्थिति में है। हमें अपने दैनिक जीवन में पवित्रशास्त्र के अध्ययन और प्रार्थना के माध्यम से परमेश्वर के साथ अपने संबंध को मजबूत करना चाहिए।#secret of faith and mercy in jesus christ.
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