मत्ती 4:1-25: "यीशु का प्रलोभन और उनकी गलील में सेवा"

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मत्ती 4:1-25: "यीशु का प्रलोभन और उनकी गलील में सेवा"
1. यीशु का प्रलोभन (मत्ती 4:1-11)

1. मरुभूमि में ले जाना (पद 1-2):

आत्मा द्वारा नेतृत्व: यीशु को पवित्र आत्मा द्वारा मरुभूमि में ले जाया गया ताकि वे शैतान द्वारा परखे जा सकें।
उपवास: यीशु ने चालीस दिन और चालीस रात उपवास किया और भूखे रहे।
2. शैतान के प्रलोभन (पद 3-10):

पहला प्रलोभन: शैतान ने यीशु से कहा कि वे पत्थरों को रोटी बना लें। यीशु ने उत्तर दिया, "मनुष्य केवल रोटी से नहीं, परंतु परमेश्वर के मुख से निकले हर वचन से जीवित रहेगा।"
दूसरा प्रलोभन: शैतान ने उन्हें पवित्र नगर की मन्दिर की चोटी पर ले जाकर कहा कि वे स्वयं को नीचे गिरा लें, क्योंकि परमेश्वर ने अपने स्वर्गदूतों को उनकी रक्षा करने का आदेश दिया है। यीशु ने उत्तर दिया, "परमेश्वर को परखना नहीं चाहिए।"
तीसरा प्रलोभन: शैतान ने उन्हें एक बहुत ऊँचे पर्वत पर ले जाकर संसार के सभी राज्य और उनकी महिमा दिखाकर कहा कि यदि वे शैतान को प्रणाम करें, तो वे उन्हें यह सब देंगे। यीशु ने उत्तर दिया, "तू केवल अपने परमेश्वर की आराधना और सेवा कर।"
3. शैतान का प्रस्थान (पद 11):

स्वर्गदूतों की सेवा: शैतान यीशु को छोड़कर चला गया और स्वर्गदूत आकर उनकी सेवा करने लगे।
2. गलील में सेवा का आरंभ (मत्ती 4:12-25)

1. गलील में वापसी (पद 12-16):

यूहन्ना का बंदी होना: जब यीशु ने सुना कि यूहन्ना बंदी बना लिया गया है, तो वे गलील चले गए।
कफरनहूम में निवास: उन्होंने कफरनहूम में निवास किया, जो ज़बुलुन और नप्ताली की सीमाओं में स्थित था, ताकि यशायाह भविष्यवक्ता की भविष्यवाणी पूरी हो सके।
2. प्रचार का आरंभ (पद 17):

पश्चाताप का संदेश: यीशु ने प्रचार करना शुरू किया, "पश्चाताप करो, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट है।"
3. प्रथम शिष्यों का बुलावा (पद 18-22):

साइमन और अन्द्रियास: यीशु ने गलील की झील के किनारे चलते हुए साइमन (जो पतरस कहलाया) और उसके भाई अन्द्रियास को मछलियाँ पकड़ते हुए देखा। उन्होंने कहा, "मेरे पीछे आओ, और मैं तुम्हें मनुष्यों को पकड़ने वाला बनाऊँगा।" वे तुरंत जाल छोड़कर उनके पीछे हो लिए।
याकूब और यूहन्ना: आगे जाकर उन्होंने जब्दी के पुत्र याकूब और उसके भाई यूहन्ना को देखा, जो अपने पिता के साथ नाव में अपने जाल सुधार रहे थे। यीशु ने उन्हें बुलाया और वे तुरंत नाव और अपने पिता को छोड़कर उनके पीछे हो लिए।
4. गलील में सेवा और चमत्कार (पद 23-25):

प्रचार और शिक्षा: यीशु पूरे गलील में घूमकर आराधनालयों में शिक्षा देने लगे, राज्य के सुसमाचार का प्रचार करने लगे और लोगों की हर बीमारी और दुर्बलता को ठीक करने लगे।
प्रसिद्धि का फैलना: उनकी ख्याति पूरे सीरिया में फैल गई। लोग उनके पास सभी प्रकार के बीमारों को लाने लगे, जिनमें विभिन्न रोगों और कष्टों से पीड़ित लोग, दुष्ट आत्माओं से ग्रस्त लोग, मिर्गी के मरीज और लकवाग्रस्त लोग शामिल थे, और यीशु ने उन्हें चंगा किया।
भीड़ का अनुसरण: गलील, दिकापोलिस, यरूशलेम, यहूदिया और यरदन पार से बड़ी भीड़ उनके पीछे हो ली।
व्यापक महत्व:
आध्यात्मिक ताकत: यीशु का प्रलोभन यह दिखाता है कि कैसे वे आध्यात्मिक ताकत और पवित्र आत्मा की सहायता से शैतान के प्रलोभनों का सामना करते हैं।
प्रचार और सिखाना: यीशु ने गलील में अपनी सेवा के दौरान सिखाने, चंगा करने और राज्य का सुसमाचार फैलाने का महत्व दिखाया।
शिष्यों का चयन: अपने पहले शिष्यों को बुलाकर, यीशु ने अपने मिशन में सहयोगियों को शामिल करने और उन्हें प्रशिक्षित करने का महत्व बताया।
व्यक्तिगत प्रतिबिंब:
मत्ती 4:1-25 हमें यह सिखाता है कि हमें प्रलोभनों का सामना करने के लिए आध्यात्मिक ताकत और विश्वास की आवश्यकता है। यह हमें प्रेरित करता है कि हम अपने जीवन में ईश्वर के राज्य का प्रचार करें, लोगों की मदद करें और उनके साथ दया और प्रेम का व्यवहार करें। यह खंड हमें अपने मिशन और बुलावे को समझने और उस पर समर्पित रहने की प्रेरणा देता है।

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