"ईश्वर की प्रसन्नता: यीशु का दिव्य उद्घोष" मत्ती 3:17 |

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मत्ती 3:17: "ईश्वर की प्रसन्नता: यीशु का दिव्य उद्घोष"
पृष्ठभूमि:

मत्ती 3:17 में, हम देखते हैं कि यीशु का बपतिस्मा योहन बपतिस्मा देनेवाले द्वारा किया जाता है। यह घटना यीशु के सार्वजनिक जीवन की शुरुआत को चिह्नित करती है और एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक क्षण है। बपतिस्मा के बाद, आकाश खुल जाता है, और एक अद्वितीय दिव्य घटना घटित होती है।

पद:

मत्ती 3:17 (HIN):
"और देखो, स्वर्ग से यह शब्द हुआ, यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यंत प्रसन्न हूं।"

विवरण:
बपतिस्मा की घटना:

योहन बपतिस्मा देनेवाले: योहन एक प्रसिद्ध भविष्यवक्ता थे जो यहूदियों को पश्चाताप और बपतिस्मा के माध्यम से पापों से मुक्ति का संदेश दे रहे थे। उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि उनके बाद एक महान व्यक्ति आएगा।
यीशु का बपतिस्मा: जब यीशु ने योहन से बपतिस्मा लेने की मांग की, तो योहन ने पहले मना किया, यह कहते हुए कि उन्हें यीशु से बपतिस्मा लेना चाहिए। लेकिन यीशु ने कहा कि यह आवश्यक है "सब प्रकार की धार्मिकता को पूरा करने के लिए।"
स्वर्गीय उद्घोषणा:

आकाश का खुलना: जैसे ही यीशु बपतिस्मा लेते हैं, आकाश खुल जाता है, जो एक दिव्य और अद्वितीय घटना है। यह स्वर्ग और पृथ्वी के बीच के संबंध का प्रतीक है।
पवित्र आत्मा का अवतरण: पवित्र आत्मा कबूतर के रूप में उतरता है और यीशु पर ठहरता है। यह यीशु के दिव्य अधिकार और ईश्वर की उपस्थिति का संकेत है।
ईश्वर की आवाज:

दिव्य उद्घोष: आकाश से एक आवाज आती है जो कहती है, "यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यंत प्रसन्न हूं।" यह उद्घोषणा स्पष्ट रूप से यीशु की दिव्यता और ईश्वर के साथ उनके गहरे संबंध को दर्शाती है।
प्रिय पुत्र: "प्रिय पुत्र" शब्द यह दर्शाता है कि यीशु ईश्वर के पुत्र हैं और उनसे विशेष संबंध रखते हैं।
प्रसन्नता: ईश्वर यह स्पष्ट करते हैं कि वे यीशु से अत्यंत प्रसन्न हैं। यह प्रसन्नता यीशु के कार्यों और उनके संपूर्ण जीवन में परिलक्षित होती है।
व्यापक महत्व:
मसीह की पहचान: यह पद यीशु की मसीहाई पहचान की पुष्टि करता है। ईश्वर स्वयं उनके पुत्र होने की घोषणा करते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यीशु केवल एक महान शिक्षक या नबी नहीं, बल्कि ईश्वर के पुत्र हैं।
पवित्र त्रिमूर्ति: यह घटना पवित्र त्रिमूर्ति (त्रिएक) का स्पष्ट उदाहरण है—ईश्वर पिता की आवाज, पवित्र आत्मा का कबूतर के रूप में अवतरण, और यीशु पुत्र के रूप में उपस्थित हैं।
आध्यात्मिक मार्गदर्शन: यह उद्घोषणा ईश्वर के मार्गदर्शन और समर्थन का प्रतीक है, जो यीशु के पूरे मिशन और सेवकाई में परिलक्षित होता है।
व्यक्तिगत प्रतिबिंब:
मत्ती 3:17 हमें यह सिखाता है कि ईश्वर अपने प्रियजनों से प्रसन्न होते हैं जो उनकी इच्छा के अनुसार कार्य करते हैं। यह हमें यह याद दिलाता है कि हम भी अपने जीवन में ईश्वर की प्रसन्नता और मार्गदर्शन की तलाश करें। यह पद हमें यह प्रेरणा देता है कि हम अपने विश्वास और आस्था में दृढ़ रहें, जैसे यीशु ने अपने जीवन और कार्यों में दिखाया।

मत्ती 3:17 का यह संदेश हमारे लिए एक महत्वपूर्ण सीख है कि हम ईश्वर की इच्छा के अनुसार जीवन जीएं और अपने कार्यों से उन्हें प्रसन्न करें। यह हमें यह भी याद दिलाता है कि ईश्वर का मार्गदर्शन और समर्थन हमारे साथ हमेशा है, जैसे वह यीशु के साथ था।"ईश्वर की प्रसन्नता: यीशु का दिव्य उद्घोष" मत्ती 3:17 |#secret of faith and mercy in jesus christ.
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