"पश्चाताप का आग्रह और न्याय का संकेत" मत्ती 3:10 |

5 months ago
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मत्ती 3:10: "पश्चाताप का आग्रह और न्याय का संकेत"
पद:

मत्ती 3:10 (HIN):
"अब कुल्हाड़ा पेड़ों की जड़ पर रखा हुआ है; इसलिये जो वृक्ष अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में डाला जाता है।"

विवरण:
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले की शिक्षा:

प्रसंग: यह पद यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के संदेश का हिस्सा है, जो यहूदिया के जंगल में प्रचार कर रहा था। वह लोगों को पश्चाताप और बपतिस्मा के माध्यम से अपने पापों से मुक्ति की आवश्यकता के बारे में चेतावनी दे रहा था।
पश्चाताप का आग्रह: यूहन्ना का मुख्य संदेश पश्चाताप करने और ईश्वर की ओर लौटने का था। वह लोगों को उनके पापों की गंभीरता और ईश्वर के न्याय के बारे में आगाह कर रहा था।
कुल्हाड़ा और पेड़ का प्रतीक:

कुल्हाड़ा का प्रतीक: "कुल्हाड़ा पेड़ों की जड़ पर रखा हुआ है" का अर्थ है कि ईश्वर का न्याय निकट है और वह उन लोगों को दंडित करेगा जो अच्छे फल नहीं लाते। यह प्रतीक बताता है कि निर्णय का समय आ गया है और बुराई को सहन नहीं किया जाएगा।
पेड़ का प्रतीक: पेड़ का अर्थ है लोग, और फल का अर्थ है उनके कार्य और जीवन की गुणवत्ता। जो लोग अच्छे कर्म और धर्म के फल नहीं लाते, उन्हें दंडित किया जाएगा।
अच्छे फल लाने का महत्व:

अच्छे फल: अच्छे फल लाने का मतलब है कि व्यक्ति के जीवन में अच्छे कार्य और धर्म के प्रमाण होने चाहिए। यह दिखाता है कि वास्तविक पश्चाताप केवल शब्दों में नहीं बल्कि कार्यों में भी होना चाहिए।
अच्छे फल न लाने का परिणाम: जो वृक्ष (व्यक्ति) अच्छे फल नहीं लाता, उसे काटा और आग में डाला जाता है। यह न्याय और दंड का प्रतीक है, जो उन लोगों के लिए है जो अपने जीवन में सुधार नहीं करते और पाप करते रहते हैं।
ईश्वर का न्याय:

निकटता: "कुल्हाड़ा पेड़ों की जड़ पर रखा हुआ है" का मतलब है कि न्याय का समय बहुत निकट है। यह एक तात्कालिक चेतावनी है कि लोग जल्द से जल्द पश्चाताप करें।
न्याय का कठोरता: न्याय का यह संदेश कठोर है, लेकिन इसका उद्देश्य लोगों को उनकी आत्मिक स्थिति की गंभीरता को समझाना और उन्हें सुधार की दिशा में प्रेरित करना है।
यूहन्ना का संदेश और यीशु का आगमन:

प्रस्तावना: यूहन्ना का संदेश यीशु मसीह के आने की तैयारी के लिए था। वह लोगों को मानसिक और आत्मिक रूप से तैयार कर रहा था ताकि वे यीशु के संदेश को समझ सकें और स्वीकार कर सकें।
नए युग की शुरुआत: यीशु के आगमन के साथ, ईश्वर का राज्य निकट था, और यूहन्ना लोगों को इस नए युग के लिए तैयार कर रहा था, जो न्याय और धार्मिकता पर आधारित था।
व्यापक महत्व:
आत्मिक जागरूकता: मत्ती 3:10 का यह पद हमें आत्मिक जागरूकता और सुधार की आवश्यकता की याद दिलाता है। यह हमें हमारे कार्यों की समीक्षा करने और अच्छे फल लाने की प्रेरणा देता है।
न्याय और दया: यह पद ईश्वर के न्याय और दया दोनों को दर्शाता है। न्याय का उद्देश्य सुधार और उद्धार है, न कि केवल दंड।
तत्काल सुधार: यह पद तात्कालिक सुधार की आवश्यकता पर बल देता है, क्योंकि न्याय का समय किसी भी क्षण आ सकता है।
व्यक्तिगत प्रतिबिंब:
मत्ती 3:10 हमें अपने जीवन की गुणवत्ता की समीक्षा करने के लिए प्रेरित करता है। यह हमें याद दिलाता है कि सच्ची आस्था और धर्म के प्रमाण हमारे कार्यों में दिखाई देने चाहिए। यह पद हमें अपने पापों से पश्चाताप करने और अच्छे कार्यों की दिशा में अपने जीवन को सुधारने के लिए प्रेरित करता है। न्याय और दया का यह संतुलित संदेश हमें सुधार और उद्धार की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
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