"याकूब की प्रार्थना और संघर्ष" उत्पत्ति 32:9 |

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उत्पत्ति 32:9 बाइबल के उत्पत्ति ग्रंथ का एक महत्वपूर्ण पद है, जिसमें याकूब की प्रार्थना और उसके संघर्ष का वर्णन है। याकूब, जो इस्राएल के जनक माने जाते हैं, इस पद में अपने जीवन के एक कठिन दौर का सामना कर रहे हैं। आइए, इस पद के विवरण को समझें:

पद का संदर्भ:
इस समय याकूब अपने भाई एसाव के साथ मिलने की तैयारी कर रहा है। याकूब और एसाव के बीच पहले से ही दुश्मनी थी, क्योंकि याकूब ने एसाव की जन्मसिद्ध अधिकार (birthright) और आशीर्वाद (blessing) छल से प्राप्त कर लिए थे। अब, वर्षों बाद, याकूब अपने परिवार और संपत्ति के साथ एसाव से मिलने जा रहा है, और उसे डर है कि एसाव अभी भी उस पर क्रोधित होगा और उसे या उसके परिवार को नुकसान पहुंचा सकता है।

पद का विश्लेषण:
उत्पत्ति 32:9 में, याकूब अपनी इस चिंता और भय के बीच ईश्वर से प्रार्थना करता है। वह अपने पूर्वज अब्राहम और इसहाक के परमेश्वर को पुकारता है और उस वाचा को याद करता है जो ईश्वर ने उसके साथ की थी।

पद का पाठ (हिंदी में):
"और याकूब ने कहा, हे मेरे पितामह अब्राहम के परमेश्वर और मेरे पिता इसहाक के परमेश्वर, हे यहोवा, जिसने मुझसे कहा, अपने देश और अपने कुटुंब में लौट जा, और मैं तुझसे भलाई करूंगा।”

पद के मुख्य बिंदु:
विश्वास और प्रार्थना: याकूब अपने पूर्वजों के परमेश्वर से प्रार्थना कर रहा है, यह दर्शाता है कि उसने अपने जीवन की कठिनाइयों में ईश्वर के साथ अपने संबंध पर गहरा विश्वास रखा है।
भय और सुरक्षा की खोज: याकूब का एसाव के साथ सामना होने वाला है, और वह डरता है कि एसाव बदला लेगा। इस भय से उत्पन्न होकर, याकूब ईश्वर से सुरक्षा और मार्गदर्शन की प्रार्थना करता है।
ईश्वरीय वाचा की याद: याकूब ने ईश्वर की वाचा को याद दिलाया, जिसमें कहा गया था कि वह अपने देश में लौटे और उसे आशीर्वाद मिलेगा। यह वाचा याकूब के लिए साहस और आशा का स्रोत है।
समग्र दृष्टिकोण:
इस पद का महत्व याकूब के ईश्वर के प्रति विश्वास और उनकी कठिन परिस्थितियों में भी ईश्वर की सहायता की खोज में निहित है। यह पद हमें सिखाता है कि कठिन समय में हमें ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए और उनके द्वारा किए गए वायदों पर भरोसा रखना चाहिए।

उत्पत्ति 32:9 की कहानी और याकूब की प्रार्थना से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें भी अपने जीवन के संघर्षों में ईश्वर की ओर मुड़ना चाहिए और उनकी सहायता की प्रार्थना करनी चाहिए।
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