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दस आज्ञाओं को ईश्वर और मनुष्य के बीच एक वाचा (करार) के रूप में देखा जाता है।
दस आज्ञाएं (अंग्रेज़ी: Ten Commandments) ईसाई और यहूदी धर्म में नैतिकता और व्यवहार के दस प्रमुख सिद्धांतों का एक समूह है। ये आज्ञाएं परमेश्वर द्वारा मूसा को पत्थर की दो तख्तियों पर दी गई थीं। इन आज्ञाओं को ईश्वर और मनुष्य के बीच एक वाचा (करार) के रूप में देखा जाता है।
पहली आज्ञा:
"तू मेरे सिवा किसी और ईश्वर की आराधना न करना।"
यह आज्ञा सिखाती है कि परमेश्वर सर्वोच्च है और उसकी पूजा अकेले ही की जानी चाहिए।
दूसरी आज्ञा:
"तू अपने लिए कोई मूर्ति या प्रतिमा न बनाना; न आकाश में, न पृथ्वी पर, न जल के नीचे की किसी भी वस्तु की मूर्ति बनाना। तू उनको नमस्कार न करना और न उनकी उपासना करना। क्योंकि मैं, तेरा परमेश्वर, ईर्ष्यालु परमेश्वर हूं; जो उनसे जो मुझसे घृणा करते हैं, उनके पुत्रों को उनके तीसरे और चौथे पीढ़ी तक दण्ड देता हूं।"
यह आज्ञा मूर्तिपूजा को मना करती है और सिखाती है कि परमेश्वर को अमूर्त रूप में ही पूजा की जानी चाहिए।
तीसरी आज्ञा:
"तू व्यर्थ में अपने परमेश्वर का नाम न लेना। क्योंकि जो कोई व्यर्थ में उसके नाम का उच्चारण करेगा, उसको परमेश्वर निर्दोष नहीं ठहराएगा।"
यह आज्ञा ईश्वर के नाम का सम्मान करने और उसे व्यर्थ में न लेने की सिखाती है।
चौथी आज्ञा:
"सब्त के दिन को पवित्र मानकर रखना। छह दिन तू काम करना, और सातवां दिन तेरे परमेश्वर, यहोवा के लिए विश्राम का दिन है।"
यह आज्ञा सप्ताह के सातवें दिन, शनिवार को विश्राम का दिन मानने का निर्देश देती है।
पांचवीं आज्ञा:
"तू अपने पिता और अपनी माता का आदर करना।"
यह आज्ञा माता-पिता का सम्मान करने और उनकी आज्ञा मानने की सिखाती है।
छठी आज्ञा:
"तू हत्या न करना।"
यह आज्ञा हत्या को मना करती है और मानव जीवन के मूल्य पर बल देती है।
सातवीं आज्ञा:
"तू व्यभिचार न करना।"
यह आज्ञा वैवाहिक निष्ठा और शुद्धता को महत्व देती है।
आठवीं आज्ञा:
"तू चोरी न करना।"
यह आज्ञा चोरी को मना करती है और दूसरों की संपत्ति का सम्मान करने की सिखाती है।
नवीं आज्ञा:
"तू झूठी गवाही न देना।"
यह आज्ञा सत्यवादिता और ईमानदारी को महत्व देती है।
दसवीं आज्ञा:
"तू अपने पड़ोसी की पत्नी की लालसा न करना। तू अपने पड़ोसी के घर, उसके दास, उसकी दासी, उसके बैल, उसके गधे, या जो कुछ तेरे पड़ोसी का है, उसकी लालसा न करना।"
यह आज्ञा लालच और ईर्ष्या को मना करती है और दूसरों की संपत्ति और पत्नी का सम्मान करने की सिखाती है।
दस आज्ञाएं नैतिकता और व्यवहार के लिए एक आधार प्रदान करती हैं। वे हमें सिखाती हैं कि परमेश्वर और मनुष्यों के बीच कैसा संबंध होना चाहिए, और समाज में कैसे रहना चाहिए.
आप इन आज्ञाओं के बारे में क्या सोचते हैं? क्या आपके कोई प्रश्न हैं?
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