पाँच रोटियों और दो मछलियों द्वारा पाँच हजार

6 months ago
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इस कहानी के अनुसार, यीशु मसीह उपदेश दे रहे थे. उनके ज्ञानपूर्ण वचन सुनने के लिए दूर-दूर से लोग आते थे. एक दिन, उपदेश देते हुए वह अनजाने में एक सुनसान स्थान पर पहुँच गए. हजारों की भीड़ उनके पीछे चल पड़ी थी. शाम ढलने का समय हुआ, तो शिष्यों को चिंता हुई कि इतने सारे लोगों को भोजन कैसे कराएँ. उन्होंने यीशु से कहा, "हे गुरु, यह सुनसान स्थान है और समय संध्या का हो चुका है. आप कृपा करके भीड़ को विदा करें ताकि वे आसपास के ग्रामों में जाकर अपने भोजन का प्रबंध कर सकें."
यीशु शांत भाव से बोले, "उन्हें विदा करने की आवश्यकता नहीं है. आप ही उन्हें भोजन कराइए." शिष्यों ने निराश होकर उत्तर दिया, "परन्तु हमारे पास केवल पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ ही हैं. इतने से इतने लोगों का पेट भरना तो असंभव है!"
यीशु ने दृढ़ता से कहा, "उन्हें मेरे पास ले आओ." फिर उन्होंने व्यवस्था पूर्वक लोगों को हरी घास पर बैठाया. इसके बाद, उन्होंने उन पाँच रोटियों और दो मछलियों को लिया और स्वर्ग की ओर आँखें उठाकर ईश्वर को धन्यवाद दिया. रोटियों को उन्होंने तोड़ा और अपने शिष्यों को वितरित किया ताकि वे भीड़ में बाँट सकें.
अब आश्चर्य का क्षण आया. शिष्यों ने थोड़ा-थोड़ा करके लगातार लोगों में रोटी और मछली का वितरण किया. विश्वास की बात यह है कि वहाँ उपस्थित सभी लोगों को, चाहे वे बच्चे हों, महिलाएँ हों या पुरुष, भरपेट भोजन मिला. भोजन के बाद जब टुकड़ों को इकट्ठा किया गया, तो शिष्यों को अचंभा हुआ. बारह टोकरियाँ तक भोजन के टुकड़े भर गए!
यह चमत्कार इस बात का प्रमाण है कि यीशु मसीह के लिए कुछ भी असंभव नहीं है. उनकी कृपा से थोड़ा सा भोजन भी अनेक लोगों का पेट भर सकता है. साथ ही, यह कथा हमें दो महत्वपूर्ण शिक्षाएं देती हैं. पहली, हमें ईश्वर पर दृढ़ विश्वास रखना चाहिए. दूसरी, हमें सदैव दूसरों की आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता के लिए तत्पर रहना चाहिए.

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