जलवायु: फिल्म (ठंडी सच्चाई)

4 months ago
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यह फिल्म जलवायु अलार्म को बिना वैज्ञानिक आधार का, एक मनघडंत डर के रूप में उजागर करती है. दिखती है कि मुख्यधारा के अध्ययन और आधिकारिक डेटा समर्थन नहीं करते कि चरम मौसम की घटनायें, जैसे कि तूफान, सूखा, हीट-वेव, जंगलों की आग, इत्यादि, में वृद्धि हुई हैं.
फिल्म इस दावे का खंडन करती है कि वर्तमान तापमान और वायुमंडलीय CO2 का स्तर असामान्य रूप से, या चिंताजनक रूप से, उच्च है. इसके विपरीत, पृथ्वी के पिछले आधे अरब वर्षों के इतिहास की तुलना में, वर्तमान तापमान और CO2 का स्तर दोनों ही असामान्य रूप से कम हैं. हम वर्तमान में हिमयुग में हैं. यह फिल्म दिखती है कि इस बात का कोई सबूत नहीं कि CO2 का स्तर बदलने से (जो कि कई बार बदल चुका है) अतीत में जलवायु परिवर्तन 'प्रेरित' हुआ था.
फिर, हमें बार-बार क्यों बताया जाता है कि 'विनाशकारी मानव निर्मित जलवायु-परिवर्तन' एक अकाट्य तथ्य है? हमें क्यों बताया जाता है कि कोई सबूत नहीं है जो इस तथ्य को खंडन कर सकते हैं? हमें क्यों बताया जाता है कि जो भी 'जलवायु अराजकता' पर सवाल उठाता है वह 'फ्लैट-अर्थर' और 'विज्ञान-अस्वीकारकर्ता' है?
फिल्म जलवायु परिवर्तन के पीछे आम सहमति की प्रकृति जांचती है. वह जलवायु पर्यावरण की फंडिंग गाड़ी और ट्रिलियन डॉलर के जलवायु उद्योग के उदय का वर्णन करती है. जलवायु संकट पर निर्भर सैकड़ों हज़ारों नौकरियों का वर्णन करती है. यह वैज्ञानिकों और अन्य लोगों पर जलवायु अलार्म पर सवाल न उठाने के दबाव की व्याख्या करती है - उनके अध्ययन की फंडिंग में रोक या वापसी, विज्ञान पत्रिकाओं द्वारा अस्वीकृति, सामाजिक बहिष्कार.
लेकिन जलवायु अलार्म, फंडिंग और नौकरियों की गाड़ी से कहीं ज़्यादा है. फिल्म जलवायु की राजनीति की छान-बीन करती है. शुरू से ही, जलवायु का डर राजनीतिक था, जिसमे मुक्त-बाज़ार औद्योगिक पूंजीवाद को अपराधी ठहराया गया. इसका समाधान था करों में बढ़ोतरी और अधिक विनियमन. शुरू से ही, जलवायु अलार्म ने उन समूहों को आकर्षित किया, और इनने इसे अपनाया और बढ़ावा दिया, जो बड़ी सरकार के पक्ष में हैं.
जलवायु अलार्म के पीछे का यह अघोषित राजनीतिक विभाजन है. जलवायु का डर विशेषतर सार्वजनिक स्त्रोत से वित्त-पोषित प्रतिष्ठान के लोगों को आकर्षित करता है. इसमें सार्वजनिक स्त्रोत से वित्त-पोषित पश्चिमी बुद्धिजीवी शामिल हैं, जिनके लिए जलवायु एक पुण्यशीलता का लक्ष्य बन गया है. इनके समूहों में, जलवायु अलार्म पर सवाल उठाना या उसकी आलोचना करना, सामाजिक शिष्टाचार का उल्लंघन माना जाता है.
फिल्म में कई प्रमुख वैज्ञानिकों के साक्षात्कार शामिल हैं, जिनमें प्रोफेसर स्टीवन कूनिन ('अनसेटल्ड' के लेखक, कैलटेक के पूर्व प्रोवोस्ट और उपाध्यक्ष), प्रोफेसर डिक लिंडजेन (हार्वर्ड और एम.आई.टी. में मौसम विज्ञान के पूर्व प्रोफेसर), प्रोफेसर विल हैपर (प्रिंसटन में भौतिकी के प्रोफेसर), डॉ जॉन क्लॉसर (2022 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार विजेता), प्रोफेसर नीर शाविव (राकाह इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स), प्रोफेसर रॉस मैकिट्रिक (गेलफ विश्वविद्यालय), विली सून, और कई अन्य, शामिल हैं.
फिल्म को ब्रिटिश फिल्म निर्माता मार्टिन डर्किन ने लिखा और निर्देशित किया है. यह उनकी 2007 की डॉक्यूमेंट्री "द ग्रेट ग्लोबल वार्मिंग स्विंडल" की उत्तर-कृति (सीक्वल) है. टॉम नेल्सन, एक पॉडकास्टर जो दो दशकों के बेहतर हिस्से से जलवायु मुद्दों की गहराई से जांच कर रहे हैं, फिल्म के निर्माता हैं.
#ClimateTheMovie 21 मार्च 2024 से कई ऑनलाइन स्थानों पर मुफ्त में उपलब्ध होगी. कई भाषाओं में उपशीर्षक क्लिंटन फाउंडेशन (Clintel Foundation) द्वारा बनाए जा रहे हैं. अपडेट के लिए @ClimateTheMovie और @ClintelOrg को फॉलो करें.

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