कारसेवकों का गुणगान और राम पत्रकारिता | Karsevaks and their Media Coverage

9 months ago
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Ram temple and Ram journalism of Hindi newspapers. In today's video we are going to talk about it. What is Ram Journalism? Is this a form of existing journalism or just a new level on it? According to me, there is a lot of new in it and also a part of old tradition. Is Ram Journalism setting any new ideal or standard in the field of journalism? No, it is not like that at all. Because this is no longer possible in today's India. Especially for a mainstream newspaper or channel. Understand it like this. When there is no ethics and dignity of profession left in Indian journalism, then how will Ram survive in journalism? At this time itself, it is a matter to be seen how Hindi newspapers are publishing news related to the construction of Ram Temple, what kind of news is being produced for publishing. The way BJP's political platform has been strengthened on the pretext of temple coverage in Hindi newspapers, For that, their editors should definitely be given Ram flag. These newspapers, which are creating Modi's political dignity in the name of Ram's dignity, are establishing Modi Raj and not Ram Rajya.
राम मंदिर और हिन्दी के अख़बारों की राम पत्रकारिता।आज के वीडियो में हम इसके बारे में बात करने जा रहे हैं। राम पत्रकारिता क्या है? क्या यह पहले से चली आ रही पत्रकारिता का ही कोई रुप है या उस पर एक नया लेवल भर है? मेरे हिसाब से इसमें काफी कुछ नया भी है और पुरानी परिपाटी का अंश भी है। क्या राम पत्रकारिता पत्रकारिता के क्षेत्र में कोई नया आदर्श या मर्यादा कायम कर रही है? नहीं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। क्योंकि आज के भारत में अब यह संभव नही है। ख़ासकर मुख्यधारा के किसी अखबार या चैनल के लिए। इसे यूं समझिए। जब भारत की पत्रकारिता में पेशे की नैतिकता और मर्यादा ही नहीं बची है तब राम पत्रकारिता में कैसे बची रह जाएगी? इस समय ही यह देखने का विषय है कि हिन्दी के अखबार राम मंदिर के निर्माण से जुड़ी किस तरह से खबरें छाप रहे हैं, छापने के लिए किस किस तरह की खबरों का उत्पादन हो रहा है। हिन्दी अखबारों में मंदिर कवरेज के बहाने बीजेपी के राजनीतिक प्लेटफार्म को जिस तरह से मज़बूत बनाने का काम किया है, उसके लिए इनके संपादकों को राम ध्वज तो दिया ही जाना चाहिए। राम की मर्यादा के नाम पर मोदी की राजनीतिक मर्यादा गढ़ने वाले ये अखबार राम राज्य नहीं मोदी राज की स्थापना कर रहे हैं।
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