पीर बिरहना - इन्हें सिद्ध कर पाए तो हमारी फिर क्या औकात

1 year ago
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पीर बिरहना।
फूल बिरहना।
धूँ धूंकार सवा सेर का ताोसा ।
वाय अस्सी कोस का धावा करे।
सात सौ कुंतक आगे चले।
सात सौ कुंतक पीछे चले।
छप्पन सौ छुरी चले।
बावन सौ वीर चले।
जिसमे गढ़ गजनी का पिर चले।
और कि भुजा उखाड़ता चले।
अपनी भुजा टेकता चले।
सुते को जगावता चले।
बैठे को उठावता चले।
हाथों में हथकड़ी गेरे।
पैरों में पैर काड़ा गेरे।
हलाल माहीं दीठ करे ।
मुर्दार माहि पीठ करे।
बलवान नबी को याद करे।
ॐ नमः ठ ठ स्वाहा:।

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