क्या रेलगाड़ी में लगा बिजली का इंजन भाप के इंजन से बेहतर होता है

1 year ago
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एक समय था जब भाप के ही इंजन हुआ करते थे. रेलगाड़ी की जो 'छुक-छुक' आवाज निकाली जाती है वो इस भाप के इंजन की आवाज की ही नक़ल है. खिड़की के पास बैठने का शौक महंगा पड़ता था क्योंकि आँखों में कोयले के कण आ आकर गिरते थे. जहाँ भी ये रेलगाड़ी जाती थी, अपने पीछे धुएं की एक बड़ी और मोटी लकीर छोडती जाती थी. आज इंजन बदल गए हैं और कोयले की जगह बिजली की शक्ति से चलते हैं लेकिन क्या इनमे भी वही दम है जो भाप के इंजन में था. जानिये आज.

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