छठ महापर्व।। उगते हुए सूर्य की पूजा।।

1 year ago
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मुख्य रूप से यह पर्व सूर्य उपासना के लिए किया जाता है, ताकि पूरे परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहे। साथ ही यह व्रत संतान के सुखद भविष्य के लिए भी किया जाता है। मान्यता है कि छठ का व्रत करने से निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
षष्ठी
षष्ठी देवी (छठी मैया)
जीवनसाथी कार्तिकेय
माता-पिता भगवान विष्णु , भगवान इंद्र (पिता) देवी लक्ष्मी, देवी इंद्राणी (माता)
भाई-बहन जयंत, जयंती, ऋषभ , मिधुषा
संतान सम्पूर्ण विश्व
छठ पूजा में उगते सूर्य की पूजा करने के पीछे ये मान्यताएं हैं:
रोज़ाना सूर्य को अर्घ्य देने से आरोग्यता का आशीर्वाद मिलता है.
भगवान सूर्य की आराधना करने से मान-सम्मान में वृद्धि होती है.
सूर्य देव को अर्घ्य देकर पृथ्वी पर जीवन की प्रचुरता प्रदान करने के लिए कृतज्ञता व्यक्त की जाती है.
सूर्य देव से कुछ इच्छाएं पूरी करने का अनुरोध किया जाता है.
छठ पूजा का आखिरी दिन ऊषा अर्घ्य होता है. इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उदितनारायण सूर्य को अर्घ्य देती हैं. साथ ही, सूर्य भगवान और छठी मैया से संतान की रक्षा और परिवार की सुख-शांति की कामना करती हैं.
छठ पूजा की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी. कहा जाता है कि सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके इस पर्व की शुरुआत की थी. कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और वो रोज़ाना घंटों तक पानी में खड़े होकर उन्हें अर्घ्य देते थे.

Chhath Puja उगते सूर्य को क्यों दिया जाता है अर्घ्य, जानें शुभ मुहूर्तों
जानिए क्यों मनाया जाता है छठ, क्या है इसका पौराणिक महत्व -

: छठ पूजा में क्यों की जाती है सूर्य देव और छठी मैया की ...

छठ -
सूर्य पूजा की शुरुआत कहां से हुई?
सूर्य की पूजा किसकी करनी चाहिए?
छठ पूजा में क्या क्या चढ़ाना चाहिए?
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छठ पूजा में ढलते सूर्य को भी दिया जाता है अर्घ्य
मान्यता है कि सूर्यास्त के समय सूर्य देव अपनी दूसरी अर्धांगनी प्रत्यूषा के साथ होते हैं। जिनकों उस समय अर्घ्य देकर उनकी पूजा करने से तुरंत ही शुभ फल की प्राप्ति होती है। जिस मनोकामना से छठ का व्रत रखा जाता है, वह शीघ्र ही बिना किसी देरी के पूरी होती है।

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