Bhai duj ,govardhan parv ki Subh Kaamnayein Mangal Kamnaiye

11 months ago
8

*सामाजिक समरसता,भाईचारे के त्योहार.....*
*गोवर्धन पर्व, भइया दूज अन्नकूट पर्व,विश्वकर्मा दिवस की....*
*हार्दिक बधाई एवं शुभ कामनायें।*
परम पूज्यश्री डॉ विश्वामित्र जी महाराजश्री के मुखारविंद से ।

*दीपावली के अगले दिन को नूतन वर्ष भी माना जाता है ।साल भर में जो कुछ किया है उसकी विश्लेषण करने का दिन , सिंहावलोकन( retrospectio) करके देखें कि किया हुआ है और फिर इस दिन से ऐसे संकल्प लेने का दिन - किसी का बुरा नहीं करेंगे । बुरा नहीं कहेंगे । मन से, कर्म से वचन से, किसी का अनिष्ट न हो ऐसे संकल्प , संयमी जीवन बिताएँगे , पवित्र जीवन बिताएँगे । बेईमानी , चोरी इत्यादि छोडेंगे इत्यादि इत्यादि ।*
*इन सब का सिंहावलोकन करके नई शपथ लेने की आवश्यकता है । जब व्यक्ति नया संकल्प लेता है तो उसके लिए व्यक्ति को, माता पिता की, गुरुजनों के आशीर्वाद की आवश्यकता हुआ करती है । ताकि सह संकल्प हमारा निर्विध्न सम्पन्न हो जाएं।*

*दीपावली के पर्व का अंतिम दिवस जिसे भइया दूज भी कहा जाता है । भाई बहन की पवित्रता का याद दलाने का दिन।इस दिन बहनें अपने भाइयों के मस्तक तिलक लगाती हैं । उनको आशीर्वाद देती हैं । उनके लिए शुभ मंगल कामनाएँ करती हैं ।दीर्घ आयु के लिए, यशस्वी बनें, बुद्धिशाली बनें इत्यादि इत्यादि। मानो अपने पवित्र सम्बंध की उन्हें याद दिलाती हैं ।*

*परमेश्वर से यह याचना करने की आवश्यकता है कि हे परमेश्वर , सर्वप्रथम इस अंतकरण को अवध बनाओ, तभी तो आप आओगे , वरना आप लंका चले जाते हो, दूर चले जाते हे। अवध जब अवध बनेगा, तभी आप वहाँ पधारोगे। आप अवतरित ही महाराज अवध में हुए हैं, रहे भी अवध में ही । हज़ारों वर्ष तक वहाँ ही राज्य किया है । वहाँ से कहीं पढने में नहीं आता कि आप कहीं बाहर गए हैं । तो इस आदर से यदि रामजी को बुलाना है तो पहले राम जी से कहिएगा , प्रभु इसे अवध बनाओ । तभी तो आप आओगे ।*

*परमात्मदेव भले ही आप लंका में पधारते हैं थोड़े समय के लिए, थोड़े समय में पधारने से हमारा मन नहीं भरता । हमारे अंत: करण में प्रभु सदा विराजिएगा । और हमारे इस अंत: करण को अयोध्या बनाइए । जनकपुरी में आप थोड़ी देर के लिए गए, माता सीता को साथ ले कर आ गए । उसके बाद कभी आप गए या नहीं, हमें नहीं पता । लेकिन अयोध्या में प्रमाणित है कि आप बहुत देर तक रहे हैं ।*

*मेरे राम ! अपने नाम के प्रकाश से, अपने नाम के प्रकटन से पकमेश्वर, इस अंत: करण में जन्म जन्मान्तरों से जो अन्धकार जमा पड़ा है, आज उसे दूर कर दीजिएगा । पुन: बधाई । आपको कोटि कोटि प्रणाम ।*

Loading comments...