Antim Darshan

1 year ago
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*परम पूज्य श्री स्वामी जी महाराज श्री के परि निर्वाण के महा मांगलिक दिवस के शुभ आगमन पर।*

*अंतिम दर्शन*

महाप्रयाण के एक सप्ताह पूर्व श्री महाराज जी ने अपनी चेतना को अंतर्मुखी कर लिया था । उनको इस स्थिति में देखकर डॉक्टर ने उन्हें सम्बोधित करके पूछा, 'महाराज जी, आप को क्या हो गया है ?' श्री महाराज जी ने आँखे खोली ओर डॉक्टर की ओर खिलखिला कर हँस पड़े और यह हँसी बहुत देर तक उनके मुखारबिंद से नही हटी । फिर डॉक्टर को यह विचार हुआ कि कहीं श्री महाराज जी को पक्षाघात (paralysis) तो नही हो गया । डॉक्टर ने आग्रह किया,'महाराज जी, थोड़ा दायां हाथ ऊपर उठाइए ।' श्री महाराज जी ने तुरन्त दायां हाथ उठाकर डॉक्टर के हाथ से मिलाया । फिर वैसे ही डॉक्टर के कहने पर बायां हाथ भी ऊपर उठा दिया । यह देखकर सब चकित हो गए और डॉक्टर भी मूक हो गया । फिर उन्होंने उन्मुक्त हंसी की छटा बिखेरी और पुर्ववत अंतर्मुख हो गये ।

श्री प्रेम जी महाराज कहने लगे कि श्री महाराज जी प्रायः बांई करवट लेटते रहे है । सम्भवतः ऐसा करने से उन्हें आराम मिलेगा, जैसे ही श्री महाराज जी को बांई करवट लिटाया तो उन्होंने अपना हाथ श्री प्रेम जी महाराज जी के कंधे रखा और अपने अति निकटतम करने की चेष्टा की ।

*रविवार 13, नवम्बर 1960 (सम्वत् २०१७ ), रात 8 बजे श्री महाराज जी बड़े वेग से नाम जप करने लगे । जो कुछ धीमे स्वर में सुनायी भी देता था । ठीक 10.20 बजे रात्रि श्री महाराज जी ने आँखे खोली और हाथ से सब को आशीर्वाद देकर यह भौतिक चोला (दिल्ली में ) छोड़ दिया ।*

*श्री महाराज जी अपना कोई स्मारक नही चाहते थे । वे चाहते थे राम से साधकों का सीधा सम्बन्ध ।* अतः महाराज जी के दिव्य शरीर को हरिद्वार ले जाया गया । श्रीरामशणम् हरिद्वार में सन्यास परम्परा के अंतर्गत स्नान आदि तथा लेपन आदि कराके और नवीन वस्त्र पहनाकर एक बड़े ही सुंदर अलंकृत हिंडोले में शंख, घण्टे, घड़ियाल तथा बाजों के साथ अंतिम यात्रा निकाली गई । जिसमें हज़ारों साधक हिंडोले को उठा कर नील-धारा ले गये और वहां श्री महाराज जी के पार्थिव शरीर को जल समाधि दी गई ।

गुरु महिमा गुरु महिमा, अपार महिमा गुरु महिमा।
गुरु महिमा गुरु महिमा, अपार महिमा गुरु महिमा।।

गुरु महिमा गुरु महिमा, अपार महिमा गुरु महिमा।
गुरु महिमा गुरु महिमा, अपार महिमा गुरु महिमा।।
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