प्रेम के अधलिखे अध्याय (पूरा उपन्यास)

1 year ago
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मैं हैरान थी के मनोरमा अपने अंदर इतना तूफ़ान लिए हुई थी और उस तूफ़ान को अपनी डायरी में शब्दों के रूप में सजा रही थी। मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था के मनोरमा जैसी लड़की इतना सुन्दर गद्य कैसे लिख सकती थी!

जैसे जैसे मैं उसकी डायरी में लिखे शब्दों को पढ़ती गयी मेरे मन में उसके लिए प्रशंसा बढ़ती चली गयी। मैं समझ ही नहीं पा रही थी के इतनी सी लड़की शब्दों का इतना सुन्दर तानाबाना कैसे बुन सकती थी!

तभी मनोरमा ने डायरी मेरे हाथ से ले ली और खुद पढ़कर मुझे उसकी कुछ और रचनायें सुनाने लगी। मैं दीवानी सी बस सुनती ही रह गयी।

जब उसने ये पंक्ति पढ़ी तो मैं ताली बजाये बिना नहीं रह सकी! उसने लिखा था,"हम डूबने की कगार पर थे, लेकिन फिर भी किसी महासागर में हमें पूरी तरह से डुबाने के लिए अधिक गहराई नहीं बची थी!"

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