Dussehra ke Uplakshey Per Pravachan

10 months ago
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*विजयादशमी( दशहरा) के उपलक्ष्य में*
परम पूज्यश्री डॉ विश्वामित्र जी महाराजश्री के मुखारविंद से

*रघुपति राघव राजा राम*
*पतित पावन सीता राम ।*

*आप सब के श्री चरणों में बारम्बार वन्दना। परमेश्वर की बड़ी कृपा है कि समय रहते मुझे यहाँ पहुँचा दिया । आप सब के दर्शनों की भारी लालसा थी । समय पर पहुँच सकूँ आप सब को चरण वंदना अर्ज़ कर सकूँ । एवं आज के इस मांगलिक दिवस पर सबको बधाई दे सकूँ ।विजय दशमी का मांगलिक दिवस है आज दशहरा है आप सब को बहुत बहुत बधाई देता हूँ । थोड़े दिनों के बाद करवाचौथ भी और फिर दीपावली भी है । तो उन दिनों के लिए भी आप सब को बहुत बहुत बधाई देते हूँ । शुभ कामनाएं मंगल कामनाएं । परमेश्वर कृपा करे कि यह तीनों दिवस आप सबके लिए*
*शुभ मंगल एवं कल्याणकारी हों !*
*शुभ मंगल एवं कल्याणकारी हों।*
*शुभ मंगल एवं कल्याणकारी हों।*

*आज आप देखोगे , जगह जगह पर रावण मेघनाद एवम् कुम्भकर्ण के पुतले बनाके तो जलते हैं । यह लगभग हर वर्ष होता है। अध्यात्म में काम क्रोध मोह अहंकार विकारों के प्रतीक । जो चीज जला दी जाती है उसे बार बार जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती । जो चीज जला दी जाती है तो वह जल कर राख हो जाती है। उसके अंदर पुनर्जीवन की क्षमता नहीं रहती । बड़ा आश्चर्य है कि हम सब इस तथ्य को जानते हैं तो थोड़ा कारण ढूंढने की आवश्यकता होगी । न जाने कितने वर्षों से जलाए जाते हैं। होना तो यूँ चाहिए कि एक बार जला दिए तो बस खत्म । उसके बाद इन्हें जलाने की आवश्यकता न पड़े ।*

*आध्यात्म यह संकेत देता है कि यह विकार ऐसे ही हैं। इन्हें थोडी थोडी देर बाद जलाने की आवश्यकता पड़ती है। यह अपने भीतर ही हैं । और इनको थोड़ी थोड़ी देर बार मारने की आवश्यकता पड़ती है। एक साधन तो यह हो गया अपने आप को निर्विकार करने का । दूसरा साधन साधक जनों जो भक्ति बताती है कि यह मरते नहीं हैं। यदि वास्तविक रूप से इन्हें मारना चाहते हो तो इनका रुख बदलो। इन सारे विकारों को परमात्मा के साथ जोड़ दो । जो चीज परमात्मा के साथ जुड़ गई तो व्यक्ति को चिन्ता नहीं रहती । अब परमात्मा जाने उसका बोझ जाने । अब परमात्मा सब दाइत्व लेता है।*

प्रभु राम का जीवन श्री रामायणजी से पता चलता है । अपने देश में ही नहीं सारे संसार में वे घर कर गए हैं। He is so popular all over the world. क्या किया है इन्होंने ?

जो गिरे हुए थे उन्हें उठाया है, जो उठे हुए थे उन्हें उछाला है । राम रावण युद्ध के लिए क्या कठिनाई थी इनके लिए , सारी की सारी सेना अयोध्या से आ सकती थी । लेकिन उन्होंने कहा कि जिनको लोग नीच समझते हैं छोटा समझते हैं मेरा जीवन है ही इसी काम के लिए कि मैं उनको उभारूँ उनको उठाऊँ । वानर हैं आदिवासी हैं सबको प्रभु राम ने उठाया है । और किस हद तक उठाया है कि इनकी तुलना अपने गुरूजनों से की है और अपने भाइयों से की है । उनके बराबर।
कृपा करने के सिवाय उन्हें कुछ आता ही नहीं । आज उन्हीं प्यारे हमारे इष्ट हमारे सर्वस्व का दिन है । हमें उनके भरपूर आशीर्वाद मिलते रहेंगे ।

एक बार फिर शुभ व मंगल कामनाएं । इंतज़ार करने के लिए हृदय से धन्यवाद । बड़े कृपालु हैं आप कि आप मुझ जैसे पर इतना स्नेह, अयोग्य पर ! यह परमेश्वर की कृपा ही है। उन्हीं की अपार कृपा है ।

धन्यवाद

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