अटेर किले की रहस्यमयी कहानियां। #explore #travelvlog #travel #creator

1 year ago
4

चंबल नदी के किनारे बना ये किला अपने साथ कई रहस्य समेटे हुए हैं फिर चाहे वह खूनी दरवाजे की कहानी हो या बरातियों के गायब होने की
यह क़िला देवगिरी पहाड़ी पर स्थित है जिस पहाड़ी का जिक्र महाभारत में भी किया गया है इसीलिए इसे देवगिरी दुर्ग के नाम से भी जाना जाता है
हेलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे फेसबुक पेज पर आज हम पहुंचे हैं चंबल नदी के किनारे बने अटेर किले पर भदौरिया और मुगलों की मिली जुली शैली से बना यह किला अपने आप में बेहद खास है इस किले का निर्माण भदौरिया शासक राजा बदन सिंह ने कराया था 1664 से 1668 के बीच तैयार हुआ यह किला 36 बीघे में बना हुआ है किले में प्रवेश करते ही हमे ऐसा महसूस होने लगा की मानो हम किसी अलग ही दुनिया में आ गये हो
किले के मुख्य प्रवेश द्वार पर पहुंचते ही आपको इसकी भव्यता का एहसास हो जाएगा किले की मेहराब पर मुगलिया सैली की नक्काशी साफ झलकती है किले में इस मुख्य प्रवेश द्वार के अलावा भी तीन अन्य प्रवेश द्वार हैं मुख्य प्रवेश द्वार के अंदर की तरफ कमाल की आकृतियां बनी हुई है जो वक्त के साथ और भी धुंधली पड़ती जा रही है, मुख्य प्रवेश द्वार के दोनों तरफ सैनिकों के खड़े होने के लिए जगह बनाई गई है किले में प्रवेश करते ही हमें एक लाल पत्थर से बना दरवाजा दिखा इसे खूनी दरवाजा भी कहते हैं क्या है इसका रहस्य बताएंगे आगे-
किले के बाहरी हिस्से में दीवान ए आम और इसके पास में ही हाथियों को ठहराने की जगह बनाई गई है दीवान ए आम की दहलीज को लाघते ही हम दीवान ए खास में प्रवेश कर गए दीवान ए खास पास में ही एक छोटा सा कारागार भी बना हुआ था जो की देखने में बहुत ही पुराना और डरावना लग रहा था उसे देखते हुए हम आगे बढ़े और हमे दिखाई पड़ी एक ऐसी जगह जहां लोगों के बैठने की व्यवस्था थी और फिर हमे पूछने पर पता लगा की इसी जगह राजा अपने खास लोगों के साथ मीटिंग्स करते थे किले के दीवान ए खास को वाकई खास तरीके से बनाया गया था इसके बीचो-बीच एक कुंड है जो खास मेहमानों के हाथ पैर धुलवाने के काम में लिया जाता था और यहां एक कुआं भी है जो पानी की जरूरत को पूरा करता था हालांकि ऐसे कुंए किले के हर हिस्से में मौजूद हैं। दीवान ए खास के सामने की तरफ मन्दिर और मंजिद का भी निर्माण कराया गया है।
ओर दीवान ए खास के दाएं और बाएं हिस्से में राजा रानी के शाही कमरे है और सामने की तरफ एक बुर्ज जिसे वॉच टॉवर भी कहा जाता हैं, ये बुर्ज मुख्य रूप से किले सुरक्षा की निगरानी के काम में लिए जाते थे, इस किले में ऐसे 17 बुर्ज थे जो की समय की मार से ध्वस्त हो चुके हैं , इन बुर्जों पर सैनिक तैनात रहते थे जो पूरे किले की की सीमा के बाहर की निगरानी किया करते थे।
किले में सजावट के लिए जगह जगह बेहद खूबसूरत आकृतियां बनाई गई थी जिसमें सब्जियों के कलर्स इस्तेमाल किए गए थे, साथ ही एक बेहतरीन क्वालिटी का प्लास्टर और पुट्टी जो अभी भी बहुत स्मूथ है हालांकि ढलते वक्त के साथ दीवारों का साथ तो छोड़ा है लेकिन मैय्यार अभी भी जैसे का तैसा है राजा रानी के रहने के साथ साथ यहां सेवकों के रहने का भी प्रबंध किया गया था। किले के पश्चिमी हिस्से में रसोई घर बनाया गया है
ये आस पास बने कमरे भी आप देख सकते हैं जो रानियों के हुआ करते थे यहां से नीचे भी बहुत से कमरे है जिनमें अब चमगादड़ अपना डेरा जमा चुके है । रसोई में इस्तेमाल होने वाले आटा और मसालों को पीसने के लिए किले के बाहरी हिस्से में एक चक्की भी है अंदाजा है जो कि शायद बैलों द्वारा संचालित की जाती हो
किले के ऊपरी हिस्से से और भी मनमोहक दृश्य दिखाई दे रहे थे, यहां से आप पूरा किला एक साथ देख सकते हैं यहां के लोगों से मिलने पर हमें यह बताया गया इस किले में जो खूनी दरवाजा है उस पर भेड़ का कटा हुआ सिर टांग दिया जाता था और उसके नीचे कटोरा रख देते थे राजा का कोई भी गुप्तचर अगर राजा को कुछ खबर देना चाहता था तो वह पहले उस खून से अपना तिलक करता था फिर राजा से मिलने जाया करता ।
ये थी इस खंडहर पड़े किले की कहानी ऐसी ही और भी जानकारियों के लिए क्रिएटर बंधु पेज को फॉलो और लाइक  जरूर करें।
Facebook Page - https://www.facebook.com/creatorbandhu07
Insta - https://www.instagram.com/creatorbandhu02/

Loading comments...