नालंदा विश्वविद्यालय से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य #shorts #viral

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नालंदा विश्वविद्यालय से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य #shorts #viral
- नालंदा शब्द संस्कृत के तीन शब्द ‘ना +आलम +दा’ से बना है. इसका अर्थ ‘ज्ञान रूपी उपहार पर कोई प्रतिबंध न रखना’ से है.

- नालंदा की लाइब्रेरी में तकरीबन 90 लाख पांडुलिपियां और हजारों किताबें रखी हुई थी.

- नालंदा विश्वविद्यालय को दूसरा सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय माना जाता है, तक्षशिला के बाद. क्या आप जानते हैं कि ये 800 साल तक अस्तित्व में रही.

- नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास चीन के ह्वेनसांग और इत्सिंग ने खोजा था. ये दोनों 7वीं शताब्दी में भारत आए थे. इन्होनें इसे दुनिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय भी बताया था.

- इस विश्वविद्यालय में चयन मेरिट के आधार पर होता था और निःशुल्क शिक्षा दी जाती थी. साथ ही उनका रहना और खाना भी पूरी तरह निःशुल्क होता था.

- इस विश्वविद्यालय में तकरीबन 10,000 विद्यार्थी और 2000 अध्यापक थे.

- इस विश्वविद्यालय में भारत ही नहीं बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, ईरान, ग्रीस, मंगोलिया आदि अन्य देशो के छात्र पढ़ने के लिए आते थे.

- नालंदा में ऐसी कई मुद्राएं मिली हैं जिससे ज्ञात होता है कि इसकी स्थापना पांचवी शताब्दी में गुप्त वंश के शासक कुमारगुप्त ने की थी.

- इस विश्वविद्यालय को बनाने का उद्देश्य ध्यान और आध्यात्म के लिए स्थान को बनाने से था और ऐसा कहा जाता है कि गौतम बुद्ध खुद कई बार यहां आए और रुके भी थे.

- नालंदा विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी 9 मंजिल की थी और इसके तीन भाग थे: रत्नरंजक, रत्नोदधि और रत्नसागर. क्या आप जानते हैं कि इसमें ‘धर्म गूंज’ नाम की लाइब्रेरी भी थी.

- इस विश्वविद्यालय में हषवर्धन, धर्मपाल, वसुबन्धु, धर्मकीर्ति, आर्यवेद, नागार्जुन आदि कई अन्य विद्वानों ने पढ़ाई की थी.

- उस समय यहां लिटरेचर, एस्ट्रोलॉजी, साइकोलॉजी, लॉ, एस्ट्रोनॉमी, साइंस, वारफेयर, इतिहास, मैथ्स, आर्किटेक्टर, भाषा विज्ञानं, इकोनॉमिक, मेडिसिन आदि कई विषय पढ़ाएं जाते थे.

- सबसे ख़ास बात इस विश्वविद्यालय की यह थी कि कोई भी फैसला सबकी सहमती से लिया जाता था यानी अध्यापकों के साथ छात्र भी अपनी राए देते थे. यानी यहां पर लोकतांत्रिक प्रणाली थी.

- नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष 1.5 लाख वर्ग फीट में मिले हैं. ऐसा माना जाता है कि ये इस विश्वविद्यालय का सिर्फ 10% ही हिस्सा है.

अर्थात ऐसा कहना गलत नहीं होगा की नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया का दूसरा सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय है जिसे इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी ने नष्ट कर दिया था.

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