बुझा दिया है मुझे Gazal

1 year ago
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यही तो मेरी वफ़ा का सिला दिया है मुझे
कि तुम ने भूल समझ कर भुला दिया है मुझे

मेरे ख़याल की लौ को बुझाने वालों ने
चराग़-ए-राह (रास्ते का दिया) समझ कर जला दिया है मुझे

कभी तो सर में समाया जुनून की सूरत
कभी ग़ुबार (धूल) की सूरत उड़ा दिया है मुझे

मैं आज देख रही हूँ कि तेरे कूचे में
तेरी तलब ने फ़साना (कहानी) बना दिया है मुझे

उदासियों में अटी शाम-ए-ग़म की चौखट पर
ख़याल-ए-यार ने कितना रुला दिया है मुझे

जहाँ भी शम-ए-मोहब्बत जलाई है मैं ने
हवा-ए-ग़म ने वहीं पर बुझा दिया है मुझे

"Poetry is when an emotion has found its thought and the thought has found words."

"कविता तब होती है जब भावना को उसका विचार मिल जाता है और विचार को शब्द मिल जाते हैं।"

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