साहू पोखर🚩Hindu temple in Muzaffarpur, Bihar प्राचीन और बैशकीमती राम जानकी और राधा कृष्ण की मूर्ति

1 year ago
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यहाँ आज भी मौजूद है अति प्राचीन और बैशकीमती राम जानकी और राधा कृष्ण की मूर्तियां।
साहू पोखर का इतिहास ढाई सौ साल पुराना है। इसका निर्माण साहू परिवार ने कराया था। बुजुर्ग बताते हैं कि बाबा गरीबनाथ मंदिर से चंद कदमों की दूरी पर इस पोखर की खोदाई वर्ष 1754 में जमींदार भवानी प्रसाद साहू के पुत्र शिवसहाय प्रसाद साहू ने करवाई थी। यहां श्रीराम जानकी मंदिर का निर्माण भी कराया था। पोखर व मंदिर के इतिहास का वर्णन विदेशी विद्वान डॉ. स्पूनर के यात्रा वृतांत में भी मिलता है। डॉ. स्पूनर यहां वर्ष 1917 में आए थे। उन्होंने वृज्जी वैशाली जनपद का भ्रमण किया था। इस दौरान स्थापत्य कला की दृष्टि से साहू पोखर स्थित मंदिर को भी देखा-समझा था। साहू परिवार के लोगों का कहना है कि पोखर के निर्माण में नदी मार्ग से मालीघाट तट पर पत्थर लाए गए थे। पानी के प्रवाह के लिए बूढ़ी गंडक के अखाड़ाघाट तट से सीधे नाले का निर्माण कराया गया था। पोखर का पानी ओवरफ्लो होने पर चंदवारा होते हुए नदी में बहता था। तब यह पोखर 25 बीघा में था। सामाजिक कार्यकर्ता प्रभात कुमार ने कहा कि यह शहर का एकमात्र पोखर है जहां वर्षा जल का संचय होता है। इसका लाभ आसपास के लोगों को मिलता है। जीर्णोद्धार के बाद साहू पोखर फिर से जिंदा हो गया है। अब लोग इसमें कूड़ा-करकट नहीं डाल सके और घरों का गंदा पानी नहीं बहा सके, इसकी व्यवस्था करनी होगी। शहर में साहू पोखर की तरह ही कई पोखर हैं उनका भी जीर्णोद्धार होना चाहिए।  

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