Pravachan Shree Vishwamitra ji Maharaj

1 year ago
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परम पूज्य डॉक्टर श्री विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से
((1054))

*श्री भक्ति प्रकाश भाग ५७१(571)*
*WHO AM I(आत्मबोध)*
*याज्ञवल्क्य का आत्मदर्शन*
*भाग-३*

आज रमन महर्षी kitchen में चले गए थोड़ा काम करने के लिए । सब्जी काट रहे हैं । हाथ में छुरी है । सब्जी काट रहे हैं । सारी संगत के लिए एक ही किचन है वहां पर । वही सबके लिए खाना बनता है । तो रमन महर्षी आज सेवा करने के लिए चले गए । जाकर सब्जी काट रहे हैं । अनुयायियों में से किसी एक ने महर्षि रमण का हाथ पकड़ा, ऐसे ही जैसे मैंने पकड़ा है । ऐसे ही हाथ पकड़ा, महर्षि क्या अभी भी आप कह सकते हो, कि मैं कुछ नहीं कर रहा ।‌ आप कहते हो की की मैं कुछ नहीं करता, अभी तो आप सब्जी काट रहे हो‌ ।
हम देख रहे हैं, आप काट रहे हो सब्जी, आप कर रहे हो, हम देख रहे हैं ।
क्या अभी भी आप कहते हो, कि मैं कुछ नहीं करता ।

महर्षि रमण ने कुछ समय के लिए आंख बंद की । आंख बंद करने के बाद खोली, और कहा -भाई मैंने अपने आप को बहुत समझाया । लेकिन क्या करूं मेरा मन इतना उच्च हो चुका हुआ है, इतना सूक्ष्म हो चुका हुआ है, कि यह स्वीकार करने को तैयार नहीं कि मैं कुछ कर रहा हूं । आप कहते हो ना सब्जी काट रहा हूं । मैं कहता हूं मैं सब्जी नहीं काट रहा । मेरा हाथ सब्जी काट रहा है। बस इतना ही अंतर है देवियो सज्जनो । सिर्फ इतनी सी जानकारी की आवश्यकता
है । कौन करने वाला है, वह आप नहीं हो । वह आत्मा नहीं है ।
वह शरीर करने वाला है । यह शरीर, जिसका धर्म है, शरीर करता है, तो फिर इसीलिए भोगता भी है ।

शरीर को रोग होते हैं, शरीर के साथ संबंध होते हैं । जुड़ते हैं तो फिर किसी एक की समस्या, जो इसका संबंधी है, उसकी समस्या भी अपनी समस्या महसूस होती है । उस समस्या से भी कभी पुत्र का रोग, कभी अपना रोग, कभी पौत्र का रोग । क्यों ?
उनसे संबंध हमारा जुड़ा हुआ है, और यह सारे के सारे संबंध देह के साथ । आत्मा के साथ किसी प्रकार का कोई संबंध साधक जनो नहीं है ।

देह और आत्मा का संबंध कैसा है ? ऐसे जैसे बल्ब और बिजली का । दोनों एक दूसरे के बिना किसी काम के नहीं है । बल्ब बिना बिजली के जलता नहीं । बिजली बिना बल्ब के कैसे अपने आप को अभिव्यक्त करें, कि मैं बिजली हूं, कैसे अपने आपको बताएं कि मैं बिजली हूं । अतएव दोनों का होना बहुत जरूरी है । बिजली connection मिलता है, तार जुड़ती है, तो बल्ब जलने लग जाता है, रोशनी । बिना बिजली के बल्ब जल नहीं सकता । और बिना बल्ब के बिजली अपने आप को अभिव्यक्त नहीं कर सकती, कि मैं बिजली हूं । बल्ब जलता हुआ दिखाई देता है, बिजली दिखाई नहीं देती । ठीक इसी प्रकार से आत्मा हमारे भीतर है, हमारा जीवन है । आत्मा हमारे भीतर है, तो हम जिंदा हैं । आत्मा जब इस शरीर से निकल जाता है, तो हम शव हो जाते हैं । जिस प्रकार बिजली दिखाई नहीं देती थी, इसी प्रकार से आत्मा भी दिखाई नहीं देता, शरीर दिखाई देता है । तो साधक जनो इस चर्चा को और आगे जारी रखेंगे ।

सबके घरों में TV है । तार जुड़ती है बिजली के साथ, तो TV आप कहते हो, TV चल रहा है । खड़ा है TV, एक ही स्थान पर रहता है, लेकिन आप शब्द ऐसा प्रयोग करते हो TV चल रहा है, बोल रहा है । उसमें चित्र दिखाई देते हैं, सब कुछ दिखाई देता है । तार टूट जाती है, तो बक्सा है और तो कुछ नहीं । TV किसी काम का नहीं, जब तार उसकी टूट जाती है ।
Intune होता है तो सब कुछ अच्छा सुनाई देता है, सब कुछ अच्छा दिखाई देता है ।
Intune नहीं होता, तो खड़खड़ करता है । दादी बैठकर कहती है, क्या शोर मचा रखा है, बंद करो इसे । क्यों ? TV Intune नहीं है । साधक जनो ठीक इसी प्रकार से यह शरीर परमात्मा से connected है, तो Intune है । परमात्मा से disconnected है तो Intune नहीं है ।
Disconnected है तो देह भाव है । Connected है तो भगवत भाव है ।

शांत मन बैठे, चुप बैठे, मौन बैठे, इसीलिए यहां आकर रोगों की चिंता नहीं करनी, समस्याओं की चिंता नहीं करनी । इस स्थान को, इस पवित्र स्थान को, इन छोटे-छोटे कामों के लिए प्रयोग मत कीजिएगा । मन को कैसे मौन करना है, कैसे शांत करना है, इस देह को कैसे निश्चल करना है, इस मन को कैसे चुप करना है, चुप कराना है, यह अभ्यास करना है यहां आकर । यह चीज सीखनी है । यही क्षण है देवियो चुप, मौन एवं शांत,
चुप, मौन एवं शांत, यही क्षण है जिन क्षणों में आप परमात्मा के साथ connect अपने आप को कर सकते हैं । नहीं तो जो मर्जी करते रहिएगा, आप परमात्मा से disconnected हैं । राम-राम इसीलिए अधिक जपने को कहा जाता है, ताकि आप वह अवस्था लाभ करके तो परमात्मा के साथ connect हो सके ।
Disconnected तो हम हैं ही, disconnected ही यहां आते हैं, disconnected ही रहे और disconnected ही वापस चले गए, तो फिर यहां आने का कोई फायदा नहीं हुआ । बस mechanically आए और mechanically ही चले गए ।
तो साधक जनो आज की चर्चा यहीं समाप्त करने की इजाजत दे । कल इस चर्चा को और आगे जारी रखेंगे । धन्यवाद ।

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