व्यक्ति का पतन kab ho skta hai #chanakya

1 year ago
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धार्मिक शास्त्रों में भी बहुत से लोगों ने इसे प्रमाणित किया है। भावनात्मक प्रक्रिया के अनुसार, क्रोध एक नकारात्मक भाव है जो हमें भ्रमित करता है और बुद्धि को व्यग्र कर देता है। इससे हम वास्तविकता को समझने और विचार करने की क्षमता खो देते हैं।

जब भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है, तो हम सही और गलत के बीच विवेक नहीं कर पाते हैं और हमारे मन में उलझन उत्पन्न होती है। इससे हम बुद्धि के संभव विकल्पों को समझने और समर्थ निर्णय लेने में असमर्थ हो जाते हैं।

जब बुद्धि व्यग्र हो जाती है, तो तर्क नष्ट हो जाता है। यह मतलब है कि हम विचारने की क्षमता खो देते हैं और सही या गलत के बारे में निर्णय लेने की क्षमता खो देते हैं। इससे हम अपने विकल्पों के बारे में अन्यायपूर्वक फैसले कर सकते हैं और आवश्यक समय और समय पर सही निर्णय नहीं ले पाते हैं।

इस प्रकार, जब व्यक्ति क्रोध से भ्रमित होता है, तब उसकी बुद्धि व्यग्र होती है, और जब बुद्धि व्यग्र होती है, तो तर्क नष्ट हो जाता है और व्यक्ति का पतन होता है। इसलिए, हमें क्रोध को नियंत्रित करना और सकारात्मक भावनाओं को बढ़ावा देना चाहिए ताकि हम बुद्धि को समझाएं, तर्क का उपयोग करें और अपने जीवन में सफलता का सामर्थ्य प्राप्त करें।

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