Premium Only Content
Pravachan Shree Vishwamitra ji Maharaj
परम पूज्य डॉक्टर श्री विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से
((1047))
*श्री भक्ति प्रकाश भाग ५६४(564)*
*राजा जनक*
*भाग-४*
राजा जनक, देवियों सज्जनों देखो यह है वास्तविक आध्यात्मिक उपलब्धि, भौतिक किसी चीज की कमी नहीं, अध्यात्म किसी चीज की कमी नहीं, उसके बाद भी राजा जनक इतने विनम्र हैं, यह सर्वोच्च उपलब्धि है । कहते हैं उन तीनों के दर्शनार्थ राजा जनक रोज रथ पर जाया करते । राजा जनक जाते हैं, याज्ञवल्क्य से उपदेश सुनते हैं । तरह-तरह का उपदेश वह संत करते । उन्हें माया मोह से रहित रहने के लिए उपदेश देते हैं । राजा जनक मुस्कुरा देते हैं । उपदेश ग्रहण करने के लिए शब्द कैसे हैं, उपदेश ग्रहण करने के लिए राजा जनक उनके पास दर्शनार्थ रोज जाते हैं, तरह तरह की चर्चा होती है ।
आज चर्चा चल रही थी पदार्थों की नश्वरता पर । राजा जनक जैसा व्यक्ति उनके उपदेश सुनने के लिए, उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए रोज रथ पर आते हैं । तन्मय होकर बैठते हैं, तो वक्ता को अभिमान ना आए कैसे हो सकता है । अतएव वह तीनो के तीनो अभिमान के शिकारी हो गए हुए हैं अभिमान की पकड़ में आ गए हुए हैं ।
आज चर्चा का विषय पदार्थों की नश्वरता। उसी वक्त किसी व्यक्ति ने आकर कहा महाराज कुटिया में कोई ऐसा जानवर आ गया हुआ है, वह सब सामान उठाकर तो ले जा रहा है । भागे, कुटिया में । संत ने देखा जो कुछ भी था थोड़ा बहुत, वह तो ले गया। लेकिन लंगोट जो कल पहनना था, चिंता तो उसकी थी ज्यादा । कल क्या पहनेंगे ? तो उसे उन्होंने उठाया तो जरूर, लेकिन जमीन पर ही फेंक गए । प्रसन्न हुए । उचित स्थान पर लंगोट को डालकर जो कुछ भी करना था, पुन: आ गए । राजा जनक प्रतीक्षा कर रहे हैं । महानता के बाद महानता देखिए, राजा जनक तीनों की प्रतीक्षा कर रहे हैं ।चर्चा फिर जारी हुई । क्षमा भी मांगी । राजा जनक ने बीच में व्यवधान पड़ा, क्षमा कीजिएगा, अपना दोष कोई नहीं, लेकिन उसके बावजूद भी क्षमा मांगी है ।
एक नौकर भागता भागता आया है । राजा जनक को आकर सूचना दी, राजा जल्दी उठो । जल्दी करो । महल में आग लग गई है। मंत्री महोदय को कहो मैं इस वक्त संतो महात्माओं की चरण शरण में बैठा हूं । उनके सानिध्य में बैठा हूं, उनकी सत्संगति में बैठा हूं, अपने भीतर की अग्नि को, अपने अंधकार की अग्नि, सत्संग की वर्षा से बुझा रहा हूं । कोई व्यवधान ना पड़े । मेहरबानी करके मंत्री महोदय को कहो जो कुछ करना उचित हो, वह करें । मुझे सूचना देने की कोई जरूरत नहीं । पुन: माफी मांगी मेरे कारण चर्चा में व्यवधान पड़ा, क्षमा कीजिएगा ।
चर्चा जारी रखिए ।
संत महात्मा कहते हैं उन्होंने यह बात सुनकर राजा जनक के चरण पकड़े ।
राजा जनक हम क्या चर्चा सुनाएं आपको, क्या कहें आपको, हम तो लंगोटो से बंधे हुए हैं । पर तू राजपाट होते हुए भी अनासक्त है, वीतराग है । चर्चा तो आपसे सुननी चाहिए थी । हम मूर्ख निकले समय बर्बाद करते
रहे । आपके जीवन से बहुत कुछ सीखने को है । दो शब्द भी आप के मुख से निकले हुए होते तो, वह अनुभव के शब्द होते । हम तो पढ़ी लिखी बातें सुना रहे हैं । आज महर्षि याज्ञवल्क्य की चर्चा हुई । कहते हैं देवियों सज्जनों महर्षि याज्ञवल्क्य सत्संग का शुभारंभ नहीं करते थे, जब तक राजा जनक आ नहीं जाते थे । ऐसा वीतराग पुरुष जब तक आकर सत्संग में बैठता नहीं था, तब तक सत्संग शुरू नहीं होता था । संत महात्मा बैठे हुए होते, ऋषि मुनि बैठे हुए होते थे, मन में उन सब के यही विचार,
बड़े लोग हैं, चापलूसी करनी पड़ती है ।
इनके पास तो, इनके साथ तो, हर एक को काम पड़ता है ।
याज्ञवल्क्य एक ऐसे ऋषि हुए हैं, rare ऋषि जिनके पास भौतिक संपदा का कोई अंत नहीं था । अति बहुत अमीर संत हुए हैं । सामान्यता संत hand to mouth ही होते हैं । गरीब ही होते हैं । लेकिन यह, उनके पास संपदा की कोई कमी नहीं थी । इनके लिए भी सोच रहे हैं, संसार है किसी को spare नहीं करता । इनके लिए सोच रहे हैं भाई इनको भी जरूरत पड़ती है । राजा जनक जैसे बड़े आदमी की इंतजार कर रहे हैं । महर्षि याज्ञवल्क्य इनकी मानसिक चर्चा सुन रहे हैं, की क्या चर्चा इनके अंदर चल रही है । राजा जनक का आगमन हुआ । सत्संग का शुभारंभ, महर्षि याज्ञवल्क्य ने सोचा इन के मन की शंका दूर करनी
चाहिए ।
भागता भागता एक सेवक आया । आकर कहा महाराज मिथिला नगरी के चहु और आग लग गई है ।राजा जनक से आकर कहा। बात सुन ली । उसको अपने पास बिठा लिया । बैठो जो तेरे भीतर आग जल रही है, पहले उसे बुझा । बाहर की आग ने किसी को spare नहीं
करना । इसमें तो हर कोई जल कर रहेगा । भीतर की आग जो जल रही है, वह यहीं बुझेगी, इनकी चरण शरण में बैठने से बुझेगी यह आग । बैठ इधर । दूसरा आया उसे भी बिठाया । तीसरा आया उसे भी बिठाया ।
मंत्री महोदय आए, देरी ना करिए राजन सारी मिथिला नगरी जलकर राख हो चुकी । हुकम दीजिएगा आप के हुक्म की प्रतीक्षा है। मंत्री महोदय को कहा बैठ इधर । वह अग्नि तो जलती रहेगी, बुझती रहेगी ।
कोई उस अग्नि से बच सकता है । यह संसार की अग्नि क्या बच सकेगा कोई ।
कभी हर एक को इस अग्नि में जल कर एक दिन राख होना ही होना है । कोई आज हो रहा है, कोई कल हो रहा है, कोई परसों हो रहा है । उस अग्नि की क्या परवाह करनी। यह भीतर जो अंधकार की अग्नि जल रही है, ज्वाला अंदर जल रही है, वह सत्संगति से बुझेगी । बैठो ऐसे अवसर बार बार नहीं मिलते । ऐसे संत महात्मा, महर्षि याज्ञवल्क्य जैसे, नहीं मिला करते हैं । बैठ इधर । सब को बिठा लिया । जब संत महात्मा शुकदेव जी, यह भी उन्हीं में से थे, कल आप पढ़ोगे शुकदेव का प्रसंग । शुकदेव जी भी उसी में बैठे हुए थे । जब सुना सारी की सारी मिथिला नगरी के इर्द गिर्द आग लग गई हुई है, भागे । अपना-अपना सामान, किसी का तुंबा जल जाएगा, किसी का बैग जल जाएगा, किसी का कुछ, किसी का कुछ। कहां जा रहे हो ? महर्षि याज्ञवल्क्य ने पूछा - कहा महाराज हमारा सामान पड़ा हुआ है। जलकर राख हो जाएगा । जो कुछ भी है हमारे पास, कुछ भी नहीं रहेगा ।
महर्षि याज्ञवल्क्य ने कहा बैठो आराम से ।
यह अग्नि नहीं है, योग अग्नि है । मैंने लगवाई थी । वास्तविक अग्नि नहीं है । तुम्हारी मती ठीक करने के लिए । मैं राजा की इंतजार नहीं करता । एक सच्चे मुमुक्षु की इंतजार करता हूं, एक सच्चे जिज्ञासु की इंतजार करता हूं, सत्संग शुरू करने से पहले ऐसे मुमुक्षु, ऐसे संत, ऐसे राज ऋषि, कुछ भी कहिएगा, उन के लिए कम है, राजा जनक । यहीं समाप्त करने की इजाजत दीजिएगा आज की चर्चा को ।
धन्यवाद ।
-
5:50:16
Pepkilla
8 hours agoRanked Warzone ~ Are we getting to platinum today or waaa
65.2K7 -
LIVE
BrancoFXDC
6 hours ago $2.53 earnedHAPPY NEW YEARS - Road to Platinum - Ranked Warzone
424 watching -
5:53
SLS - Street League Skateboarding
5 days agoBraden Hoban’s San Diego Roots & Hometown Win | Kona Big Wave “Beyond The Ride” Part 2
66K12 -
6:03:57
TheBedBug
11 hours ago🔴 LIVE: EPIC CROSSOVER - PATH OF EXILE 2 x MARVEL RIVALS
70.7K5 -
1:12:45
The Quartering
9 hours agoTerror In New Orleans, Attacker Unmasked, Tesla BLOWS UP At Trump Tower! Are We Under Attack?
135K246 -
1:32:08
Robert Gouveia
10 hours agoNew Year TERROR; Trump Speaks at Mar-a-Lago; Speaker Johnson FIGHT
110K100 -
22:21
Russell Brand
1 day agoVaccines Don't Cause Autism*
182K731 -
2:05:27
The Dilley Show
10 hours ago $24.03 earnedNew Years Agenda, New Orleans Terror Attack and More! w/Author Brenden Dilley 01/01/2025
107K38 -
25:45
Outdoor Boys
3 days ago3 Days in Arctic Survival Shelter - Solo Bushcraft Camping & Blacksmithing
78.5K27 -
2:59:05
Wendy Bell Radio
16 hours agoAmerica Is Back
125K120