योग की शक्ति | योग की भूमिका | yog kee shakti | yog kee bhoomika#shivasutra #शिवसूत्र

1 year ago
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विस्मय योग उस स्थिति को संदर्भित करता है जब योगी आत्मा की असीम स्वभाविक शक्ति और प्रकाश को पहचानता है जो सभी जीवों के अन्तर्यामी भगवान में मौजूद होती है। योगी विशेष ध्यान और विवेक के माध्यम से अपने मन को नियंत्रित करता है और अन्तर्यामी आत्मा की अनुभूति को प्राप्त करता है। इस प्रकार, उसे अपने स्वयं के सत्त्व और ज्ञान की गहरी अनुभूति होती है।

विस्मय योग में एक महत्वपूर्ण अंग "वितर्क" है, जिसे विवेक के साधना के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह एक मानसिक क्रिया है जिसमें योगी मन के विभिन्न वृत्तियों और चिन्ताओं को विचार करता है और उन्हें विवेक के माध्यम से समझता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से योगी अपने मन को शुद्ध करता है और सत्य की अनुभूति करता है।

विस्मय योग का परिणाम अस्तित्व का आनंद और समाधि होता है। योगी अपने अस्तित्व की अनुभूति में भोगना समाधि प्राप्त करता है, जिसमें वह अपने आत्मीय स्वरूप में पूर्णता, शांति और आनंद को प्राप्त करता है। यह उसका सच्चा स्वरूप होता है, जो मानवीय माया से परे है और जो उसे आनंदमय और पूर्णता की अनुभूति में ले जाता है।

विस्मय योग के माध्यम से, योगी अपने स्वयं के सत्त्व, ज्ञान, आनंद और शक्ति का अनुभव करता है, जो कि उसकी स्वाभाविक धारणा से परे होते हैं। यह योगी के साधना और आत्मज्ञान के माध्यम से मुक्ति की प्राप्ति में सहायता करता है।

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