हनुमानजी गुप्त रूप से विराजमान रहते हैं #jaishriram #hanumanji

1 year ago
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सीताजी के वचनों के अनुसार- 'अजर-अमर गुन निधि सुत होऊ।। करहु बहुत रघुनायक छोऊ।।'

यह पंक्ति वाली चौपाई वाले दोहे का हिंदी में अनुवाद है और इसे वाल्मीकि रामायण के एक अध्याय में उद्धृत किया गया है। यह सीता माता द्वारा कहे गए शब्द हैं।

इस दोहे के अर्थानुसार, सीता माता श्रीराम की पत्नी थीं और उनकी यह बिनती है कि श्रीराम उनके संग बहुत लम्बे समय तक रहें और वे उनके साथ अजर (मृत्यु रहित) और अमर (अविनाशी) हों। इसके साथ ही, सीता माता कहती हैं कि श्रीराम को बहुत सारे गुण प्राप्त हैं और वे एक सर्वोच्च गुण के धनी हैं। उन्हें कहती हैं कि वे रघुनायक (रघु कुल के नेता, श्रीराम) के पास जल्दी जाएं।

इस दोहे में सीताजी का प्रेम, भक्ति, और आदर श्रीराम के प्रति प्रकट होता है। वे श्रीराम को अपनी आदर्श पुरुष और धर्मात्मा मानती हैं और उनके साथ बिताए गए समय की लंबाई की कामना करती हैं। यह दोहा उनकी विश्वासपूर्ण प्रार्थना है कि श्रीराम उनके साथ हमेशा रहें और उन्हें आशीर्वाद दें।

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