Pravachan Shree Vishwamitra ji Maharaj

1 year ago
3

परम पूज्य डॉक्टर श्री विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से।
((1016))

*श्री भक्ति प्रकाश भाग ५३३(533)*
*आत्मिक भावना*
*भाग १२*
*श्री राम शरणम् की महिमा*

आत्म भावनाओं का प्रसंग स्वामी जी महाराज समाप्त करते हैं । दो शब्द इस पर कहने से पहले साधक जनों 4 से 7 नवंबर जो हरिद्वार में साधना सत्संग होने जा रहा है, दिल्ली से एवं आसपास से जो नाम स्वीकार हुए हैं, उनकी सूची बाहर लगी है, मेहरबानी करके देख लीजिएगा । कम नाम स्वीकार हो सके हैं । क्षमा प्रार्थी हूं । जिनके नाम स्वीकार नहीं हो सके उनसे हाथ जोड़कर क्षमा की भीख मांगता हूं । कुछ नाम कटेंगे भी तो और नाम उनकी जगह पर रखें नहीं जा सकेंगे । नाम पहले ही बहुत ज्यादा हो चुके हुए हैं ।

देवियों सज्जनों आज करवाचौथ है । इस मांगलिक पर्व पर केवल देवियों को ही नहीं आप सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूं । शुभकामनाएं एवं मंगलकामनाएं । आज का त्योहार साधकजनों परस्पर स्नेह का त्योहार है । पत्नियां जो व्रत रखे हुए हैं, मानो ऐसा अपने पतियों से कह रही हो आप सुस्वस्थ रहे शारीरिक, बौद्धिक स्वास्थ्य, आपको लाभ हो, आप सुखी हो, आप समृद्ध हो । इसके लिए यदि मुझे भूखे भी रहना पड़े तो मैं तैयार हूं, मुझे प्यासी भी रहना पड़े, तो मैं तैयार हूं । और आज वह देवियां ऐसा करके दिखाती हैं । आज के दिन पत्नियां कुछ खाती नहीं, कुछ पीती भी नहीं है । यह सिर्फ अपने पतियों को यह बताने के लिए कि हम किसी भी त्याग के लिए तैयार हैं । संकेत है। अति शुभकामनाएं देवियों, बहुत बड़ी बात है। जो आप आज करती हैं, जिसके लिए आप व्रत रख रही हैं, जिस भाव से, परमेश्वर इस भाव को साकार बनाए, वास्तविकता में ऐसा हो ।

पूज्य पाद स्वामी जी महाराज भी कभी-कभी यह व्रत रखते थे, तो उनसे किसी ने पूछा स्वामी जी हम तो अपने पतियों के लिए व्रत रखती हैं । आप किन के लिए व्रत रखते हो ? तो स्वामी जी महाराज ने कहा था देवी आप अपने प्यारे के लिए व्रत रखते हो, मैं अपने प्यारों के लिए व्रत रखता हूं । आपका तो प्यारा एक है,
और मेरे प्यारे अनेक हैं ।सो बहुत महत्व है साधकजनों आज के व्रत का । बहुत टी.वी. के आगे नहीं बैठना । पिक्चर देखने नहीं चले जाना, खानपान का बहुत ध्यान नहीं करना । आज बहुत जाप कीजिए और परमेश्वर पर ध्यान लगाइए । खान-पान पर नहीं, पति पर नहीं, संसार पर नहीं, परमेश्वर पर ध्यान लगाइएगा । जाप भी आज खूब कीजिएगा दिन भर । आपके अंदर सात्विक विचारों की प्रमुखता रहे । हार्दिक शुभकामनाएं मंगलकामनाएं ।

कल चर्चा चल रही थी देवियों सज्जनों, जहां आकर सन्मार्ग पर चलने के लिए बल मिले, ऐसा स्थान इसे समझिएगा । रोज आप यहां आते हैं, या कभी-कभी आप यहां आते हैं, नित्य बलवान होकर जाते हैं । कभी कभी आने वाले बलहीन जब होते हैं, तो वह यहां से बलवान होकर जाते हैं । कैसा बल है यह ? वह बल जिससे हम कुमार्ग से हटकर तो सन्मार्ग पर चल सके । बहुत बल
चाहिए इसके लिए । कुमार्ग पर चलना तो बहुत आसान है, लेकिन सन्मार्ग पर चलना एवं सन्मार्ग पर रहना उसके लिए प्रचुर बल चाहिए ।

यह बल मेरे गुरुजनों के स्थान से मिलता है। देवियों मेरी और नहीं देखना, मेरे और नहीं झांकना । आप मेरी औकात को बहुत अच्छी तरह से जानते हो । मेरे पास ऐसा कुछ नहीं है, जो मैं आपको दे सकूं । हां, यह स्थान जो मेरे गुरुजनों का है, जो मेरे सद्गुरुओं का है, आपको स्पष्ट करूं देवियों सज्जनों सद्गुरु कभी मरा नहीं करते । उनकी अविनाशी चेतना उनकी तपस्थली पर सदैव व्याप्त रहती है ।‌ वही हम सब को देखने को मिल रहा है । जो कोई भी इस स्थान पर आता है, वह बलवान होकर जाता है, वह बल प्राप्त करके जाता है ।

कल भी आपसे एक अर्ज की थी इस स्थान पर आकर रोग भी ठीक होते होंगे, लेकिन लक्ष्य यह नहीं होना चाहिए । समस्याएं भी सुलझती होंगी, लेकिन लक्ष्य यह नहीं होना चाहिए । इससे इस स्थान की महिमा कम होती है ।

Loading comments...