Pravachan Shree Vishwamitra ji Maharaj

1 year ago
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परम पूज्य डॉक्टर श्री विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से।
((1015))

*श्री भक्ति प्रकाश भाग ५३२(532)*
*आत्मिक भावनाएं*
*भाग ११*
*श्री राम शरणम् की महिमा*

*समस्याएं हमारे जीवन में आती ही हैं ।यह स्थान समस्याओं को हल करने के लिए कचहरी नहीं है ।जहां रोग ठीक किए जाते हैं उसको हस्पताल कहते हैं, उन्हें राम शरणम् नहीं कहा जाता । यह श्री राम शरणम् है ।*
*जहां समस्याओं का समाधान होता है, जहां समस्याएं हल होती हैं, सजा मिलती है, फैसले होते हैं, उसे कोर्ट कहा जाता है, कचहरी कहा जाता है । यह श्री राम शरणम् है । यहां पर भक्ति करके देवियों सज्जनों आपको उन समस्याओं का सामना करने का बल मिलेगा, समस्याएं दूर नहीं होंगी । यदि आप ये भावना लेकर आते हैं कि हमारी समस्याएं यहां आकर सुलझ जाएंगी तो यह सत्य नहीं है । यहां आकर जो आपकी हाजिरी लगती है, जो आकर आप परमात्मा का नाम जपते हैं, अमृतवाणी का पाठ करते हैं, रामायण जी का पाठ करते हैं, इत्यादि इत्यादि, इन से जो पुण्य प्राप्त होता है, उन पुण्यो से आपको बल की प्राप्ति होती है । आप किसी भी समस्या का सामना करने योग्य हो जाते हैं । यह कोई छोटी बात नहीं। देखो ना मेरी माताओं सज्जनों छोटा सा उदाहरण देखो ।*

आज सरकार ने घोषणा कर दी essential commodities आटा, दाल, चावल इत्यादि के भाव बढ़ गए हैं । ऐसा शब्द इन के लिए प्रयोग किया जाता है inflation आज घोषणा हो गई । भाव बहुत तो नहीं बढ़ते ।
50 पैसे per Kg चीनी का भाव, 1 रुपैया per Kg और बढ़ गया । दाल के भाव, इसी प्रकार से एक रुपैया 2 रुपए सब्जी के भाव, इसी प्रकार से एक, दो रुपए ही बढ़ते हैं ।
तो जितने भी यहां देशवासी हैं उन सबको इसका फर्क तो पड़ता है । पिसता कौन है ? जो सबसे गरीब है । उसके लिए यह 50 पैसे per Kg, एक रुपैया per Kg, बहुत उसे चुभता है । क्यों ? गरीब है उसके पास जो बल होना चाहिए वह नहीं है । लेकिन average mediocre जो है व्यक्ति उसे मामूली सी चुभन होती है । लेकिन जो धनवान है, जिसके पास बल है, पूरा बलवान है, उसके सिर पर जूं भी नहीं रेंगती ‌। कोई फर्क नहीं पड़ता इससे ‌। यह यहां का जाप पाठ, यहां का पुण्य आपको ऐसा बलवान बना देता है ।

Inflation तो होगी ही होगी ।
समस्याएं तो बेटा आएगीं ही आएगीं ।
अपने किए हुए कर्मों का भुगतान तो हर एक को भुगतना ही भुगतना है । कोई इससे बच नहीं सकता । आप दौड़ लगाते हो, या तेज चलते हो । चलने के बाद आपको पसीना आता है, आपका सांस फूलता है, आप हांफते हैं । आप कहोगे दौड़ने के बाद या तेज चलने के बाद आपका सांस ना फूले, या पसीना आपको ना आए, तो यह संभव नहीं है । आप दौड़ोगे, मानो जो कर्म आपने किया है, वह अपना कोई फल ना दे, अपनी कोई प्रतिक्रिया ना दें, यह कर्म का स्वभाव नहीं है । यह कर्म सिद्धांत नहीं है । अकाट्य है यह । जिस प्रकार दौड़ने से व्यक्ति को पसीना भी आता है, सांस भी फूलता है,
आप कहो कि दौड़कर आए हो,
आपको कहा जाए अपना सांस रोको,
क्यों हांफ रहे हो, शर्म आनी चाहिए आपको, इत्यादि इत्यादि, तो बेचारा नहीं कर सकेगा। यह उस कर्म का फल है जो आप कर्म करके आए हो ।

*तो कर्म देवी पीछा नहीं छोड़ता । इन कर्मों के अनुसार हमारे जीवन में समस्याएं भी आएंगी, रोग भी आएंगे । उनको दूर करने के लिए साधकजनों आपके पास अमोघ साधन है, वह है परमात्मा की भक्ति, स्थान है श्री राम शरणम् ।*

*बाकी जगहों पर जाकर बहुत कुछ करते हो। आप मत सोचिएगा आपका पता नहीं है कि आप कहां कहां भटकते हो, कहां कहां जाते हो, बहुत इधर उधर भक्ति करने के लिए साधक जनों कही आपको जाने की जरूरत नहीं है । भीतर जाने की जरूरत है । यदि आप बाहर भटकते हो, तो स्पष्ट है आपको भक्ति की जरूरत नहीं । आप कुछ और पाना चाहते हो । उसके लिए बाहर जाने की जरूरत पड़ती है, उसके लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है ।*

*भक्ति के लिए साधकजनों, परमात्मा की प्रीति प्राप्ति के लिए, आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं । आप यहां आते रहिए, भीतर जाते रहिए, भीतर जाते रहिए, dive deep soar high dive deep मानो ऊपर जाना है या भीतर जाना है, बाहर नहीं जाना । बाहर जाने को भटकना कहा जाता है, इधर उधर जाने को भटकना कहा जाता है । उच्च जाइएगा या ऊपर उठिएगा या भीतर जाइएगा deep जाइएगा ।और deep जाइएगा और deep जाइएगा। तो आप अपने गंतव्य पर पहुंचेंगे* ।
गंतव्य बाहर नहीं है, गंतव्य भीतर है ।
कल साधक जनों इसी चर्चा को और आगे जारी रखेंगे । अंतिम आत्मिक भावना है। कल वह पढ़ेगे । फिर इस चर्चा को विराम देंगे । धन्यवाद ।

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