एक दिन की साधना | रावण कृत लक्ष्मी आबद्ध प्रयोग

1 year ago
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एक दिन की साधना | रावण कृत लक्ष्मी आबद्ध प्रयोग

रावण का नाम सुनते ही आपके मन में ख्याल आता होगा कि यह तो वही है, जिसने माता सीता का अपहरण किया था और खुद का सर्वनाश कर लिया।

रावण रामायण का एक केन्द्रीय प्रतिचरित्र है। रावण लंका का राजा था। वह अपने दस सिरों के कारण भी जाना जाता था, जिसके कारण उसका नाम दशानन भी था। किसी भी कृति के लिए नायक के साथ ही सशक्त खलनायक का होना अति आवश्यक है। रामकथा में रावण ऐसा पात्र है, जो राम के उज्ज्वल चरित्र को उभारने का काम करता है। किञ्चित मान्यतानुसार रावण में अनेक गुण भी थे। सारस्वत ब्राह्मण पुलस्त्य ऋषि का पौत्र और विश्रवा ऋषि का पुत्र रावण एक परम शिव भक्त, उद्भट राजनीतिज्ञ, महापराक्रमी योद्धा, अत्यन्त बलशाली, शास्त्रों का प्रखर ज्ञाता, प्रकाण्ड विद्वान पण्डित एवं महाज्ञानी था। रावण के शासन काल में लङ्का का वैभव अपने चरम पर था, इसीलिए उसकी लङ्कानगरी को सोने की लङ्का अथवा सोने की नगरी भी कहा जाता है।

रावण में कितना ही राक्षसत्व क्यों न हो, उसके गुणों को विस्मृत नहीं किया जा सकता। ऐसा माना जाता हैं कि रावण शङ्कर भगवान का बड़ा भक्त था। वह महातेजस्वी, प्रतापी, पराक्रमी, रूपवान तथा विद्वान था।

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